दिल्ली में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया

राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को अधिकतम तापमान रिकॉर्ड 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस गर्मी के मौसम में सबसे अधिक है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी।

आईएमडी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी में यह सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री अधिक है। इससे पहले छह मई सबसे गर्म दिन रहा था, जब अधिकतम तापमान 41.1 डिग्री सेल्सिय़स दर्ज किया गया था।

वैज्ञानिक और क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्ताव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि साप्ताहिक पूर्वानुमान के अनुसार, तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा,जिसके परिणामस्वरूप राजधानी में उष्ण लहर की स्थिति लागू नहीं होगी।

उन्होंने यह भी बताया कि मौसम पिछले वर्ष जैसा ही बना रहेगा और 11 व 12 मई को हल्की बूंदा-बांदी की संभावना है।

मौसम विभाग के मुताबिक, वर्ष 2023 के मई महीने के दूसरे सप्ताह के दौरान राजधानी में 42 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था और पिछले गर्मी के मौसम में उष्ण लहर नहीं रही थी।

दिन के वक्त सापेक्षिक आर्द्रता 24 से 71 फीसदी के बीच रही।

मौसम विभाग ने बुधवार को आंशिक रूप से बादल छाए रहने और अधिकतम व न्यूनतम तापमान क्रमशः 41 और 24 डिग्री सेल्सिय़स रहने का अनुमान जताया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्य़ूआई) 302 के साथ ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।

लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में नामांकन प्रक्रिया समाप्त, 268 उम्मीदवारों ने दाखिल किया पर्चा

दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गई है और कुल 268 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया है। नामांकन दाखिल करने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में कांग्रेस के उत्तर पूर्वी दिल्ली के उम्मीदवार कन्हैया कुमार और आम आदमी पार्टी (आप) से बहुजन समाजवादी पार्टी में शामिल हुए राज कुमार आनंद शामिल हैं। वह… Continue reading लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में नामांकन प्रक्रिया समाप्त, 268 उम्मीदवारों ने दाखिल किया पर्चा

आबकारी नीति ‘घोटाला’: सिसोदिया ने जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया

पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने कथित आबकारी नीति घोटाले के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार तथा धनशोधन के मामलों में जमानत के लिए बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। जमानत याचिकाओं पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा… Continue reading आबकारी नीति ‘घोटाला’: सिसोदिया ने जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया

2020 दिल्ली दंगे: अदालत ने घरों में आग लगाने के जुर्म में व्यक्ति को 10 साल कैद की सजा सुनाई

राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में भड़के दंगों के दौरान दो घरों को आग लगाने के जुर्म में एक दोषी को 10 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला मंगलवार को दोषी जॉनी कुमार के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस) और 436 (घर आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा) के साथ-साथ अवैध रूप से एकत्र होने के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है।

कुमार को इस साल 14 फरवरी को आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) के तहत भी दोषी ठहराया गया था।

अभियोजन पक्ष ने कुमार पर उस दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया था, जिसने 25 फरवरी 2020 को दंगों के दौरान यहां खजूरी खास इलाके में दो घरों को आग लगा दी थी।

विशेष लोक अभियोजक नरेश कुमार गौड़ ने दोषी के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा, “एक समाज के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम अपने समुदायों की हिफाज़त करें।”

अदालत ने कहा, “इस मामले में दोषी द्वारा किए गए अपराध का प्रभाव केवल शिकायतकर्ता और अन्य पीड़ित को हुए नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि दंगाइयों के कृत्यों ने सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर डाला है…कथित कृत्यों ने सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डालते हुए लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा की।”

अदालत ने मोहम्मद साफिल और मोहम्मद दाउद के घरों में आगजनी करने के लिए पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और क्रमश: 50 हजार और 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने कुमार को आईपीसी की धारा 148 के तहत एक साल के साधारण कारावास और आईपीसी की धारा 188 के तहत छह महीने के साधारण कारावास की सजा भी सुनाई।

केंद्र को कोविशील्ड के दुर्लभ दुष्प्रभावों से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम करना होगा : आप

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को कहा कि कोविशील्ड टीके के ‘दुर्लभ दुष्प्रभावों’ से युद्धस्तर पर निपटने की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस मामले में अब तक कुछ नहीं किया है।

भारद्वाज ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार को टीके के किसी भी तरह के दुष्प्रभाव के ‘संकेत या लक्षण’ वाले लोगों की मदद के लिए प्रणाली बनाने की खातिर टीका विनिर्माता कंपनी, चिकित्सकों और वैज्ञानिकों से बात करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन केंद्र सरकार सो रही है और उसने अभी तक कुछ नहीं किया है। कई यूरोपीय देश में इस टीके को 2021 में प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन हमारे देश की सरकार इसे लगा रही थी और प्रचारित कर रही थी।’’

भारद्वाज ने कहा कि लोगों के दिमाग में पहले से ही ये प्रश्न थे कि क्या ‘हृदयाघात के मामले अचानक से बढ़ने का किसी भी तरह टीकों से कोई संबंध है’।

ब्रिटेन से संचालित फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि ‘बहुत दुर्लभ मामलों में@ उसके कोविड-19 टीके से खून का थक्का जमने जैसे दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं लेकिन इसके कारण का अभी पता नहीं है।

यह बात ब्रिटेन के मीडिया में कंपनी द्वारा अदालत में प्रस्तुत कागजात के हवाले से कही जा रही है।

‘गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री बने रहना केजरीवाल का फैसला ‘निजी’ , छात्रों के अधिकार रौंद नहीं सकते’

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल का गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला ‘निजी’ है; लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया जाए।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि केजरीवाल की अनुपस्थिति में एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकों, लेखन सामग्री और वर्दी के बिना पहला सत्र पूरा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अदालत ने कहा कि दिल्ली जैसी व्यस्त राजधानी ही नहीं किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है।यह एक ऐसा पद है जहां पदधारक को बाढ़, आग और बीमारी जैसी प्राकृतिक आपदा या संकट से निपटने के लिए 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध रहना पड़ता है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति पी.एस.अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित की मांग है कि इस पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित समय के लिए संपर्क से दूर या अनुपस्थित न रहे। यह कहना कि आदर्श आचार संहिता के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया जा सकता अनपुयक्त है।’

‘अवैध गिरफ्तारी’ लोकतंत्र के सिद्धांतों पर अभूतपूर्व हमला : केजरीवाल ने न्यायालय से कहा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उनकी ‘‘अवैध गिरफ्तारी’’ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तथा संघवाद पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर अभूतपूर्व हमला है।

मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल ने जवाब दाखिल किया है। केजरीवाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जब आदर्श आचार संहिता लागू है, तब उनकी गिरफ्तारी का तरीका और समय एजेंसी की ‘मनमानी’ के बारे में बहुत कुछ बताता है।

केजरीवाल ने दावा किया कि यह एक ‘‘सटीक मामला’’ है कि कैसे केंद्र ने आम आदमी पार्टी (आप) और उसके नेताओं को ‘‘कुचलने’’ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इसकी व्यापक शक्तियों का दुरुपयोग किया है।

केजरीवाल के जवाब में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तथा संघवाद पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर एक अभूतपूर्व हमला है, जो दोनों संविधान के मूल ढांचे के महत्वपूर्ण घटक हैं।’’

इसमें कहा गया कि आम चुनाव की घोषणा होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के पांच दिन बाद ईडी ने एक मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय स्तर के विपक्षी दलों में से एक के राष्ट्रीय संयोजक को अवैध रूप से गिरफ्तार कर लिया।

केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा है, ‘‘चुनाव के दौरान जब राजनीतिक गतिविधि अपने उच्चतम स्तर पर होती है, याचिकाकर्ता की अवैध गिरफ्तारी से याचिकाकर्ता के राजनीतिक दल के बारे में गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हो गया है और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को मौजूदा चुनावों में अन्यायपूर्ण बढ़त मिलेगी।’’

दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए ‘आप’ के ‘वॉर रूम’ का उद्घाटन

दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के ‘‘वॉर रूम’’ का उद्घाटन शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने किया।

‘आप’ ने राष्ट्रीय राजधानी की सात लोकसभा सीट में से चार पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि ‘इंडिया’ गठबंधन की उसकी सहयोगी कांग्रेस तीन सीट पर चुनाव लड़ रही है। सात चरण के चुनाव के छठे दौर में 25 मई को इन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा।

‘आप’ की दिल्ली इकाई के संयोजक राय ने कहा कि दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) मार्ग पर ‘आप’ मुख्यालय में स्थित ‘‘वॉर रूम’’ में विभिन्न उद्देश्यों के लिए 12 टीम होंगी।

‘आप’ पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और नयी दिल्ली से चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस उत्तर-पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पश्चिम दिल्ली और चांदनी चौक से चुनाव लड़ रही है।

उन्होंने कहा कि चारों निर्वाचन क्षेत्रों के लिए प्रभारी नियुक्त किए गए हैं और वे सुनिश्चित करेंगे कि ‘आप’ का प्रचार अभियान व्यवस्थित तरीके से चले।

राय ने कहा कि व्यवस्थागत, प्रचार अभियान प्रबंधन, कानूनी कार्य, डेटा प्रबंधन और विश्लेषण तथा मीडिया और सोशल मीडिया के लिए समर्पित टीम पार्टी द्वारा लड़ी जा रही चार सीट पर सुचारू और संगठित प्रचार सुनिश्चित करेंगी।

जेल में बंद ‘आप’ प्रमुख एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के शाम को पूर्वी दिल्ली से पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के समर्थन में पहले रोड शो पर राय ने कहा कि इस कार्यक्रम के साथ पार्टी का लोकसभा अभियान ‘‘जेल का जवाब वोट से’’ अपने तीसरे चरण में प्रवेश करेगा।

पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ ‘‘जेल का जवाब वोट से’’ अभियान के पहले दो चरण में चार निर्वाचन क्षेत्रों में घर-घर जाकर संपर्क किया गया और ‘‘संकल्प सभा’’ आयोजित की गईं। राय ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ गुस्सा है और ‘‘यह चुनाव दिल्ली की जनता लड़ रही है।’’

दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए नामांकन 29 अप्रैल से शुरू होगा।

दिल्ली के रोहिणी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गैंगस्टर को गिरफ्तार किया

दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 34 में बृहस्पतिवार को राज्य पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की एक टीम ने नीरज बवाना-नवीन बाली गिरोह के एक सदस्य को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने यह जानकारी दी।

एक अधिकारी ने बताया कि राहुल डबास हत्या के मामले में वांछित था और हत्या के प्रयास व फिरौती के सात अन्य मामलों में कथित तौर पर शामिल था।

अधिकारी ने बताया, ”विशेष प्रकोष्ठ की एक टीम को सूचना मिली थी कि गैंगस्टर बृहस्पतिवार को रोहिणी सेक्टर 34 में किसी से मिलने आ रहा है। जाल बिछाया गया लेकिन उसने पुलिस को देख हमारी टीम पर गोलियां चलाईं।”

अधिकारी ने बताया कि टीम के सदस्यों ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी हुई थीं, जिस वजह से कोई घायल नहीं हुआ।

उन्होंने बताया कि डबास को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई। अधिकारी ने बताया कि उसके पास से एक बन्दूक बरामद की गई है। पुलिस ने बताया कि वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद गैंगस्टर नीरज बवाना और नवीन बाली का करीबी सहयोगी है।

दिल्ली दंगे 2020: उच्च न्यायालय ने यूएपीए मामले में आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे बड़ी साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि हिंसक प्रदर्शन विरोध करने के संवैधानिक अधिकार से परे है तथा यह कानून के तहत दंडनीय अपराध है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने मंगलवार को अपलोड किए गए अपने आदेश में कहा कि इस बारे में पर्याप्त सामग्री है कि आरोपी सलीम मलिक “गहरी साजिश” में सह साजिशकर्ता था जिसने शांति एवं सद्भाव में कथित तौर पर खलल डालने के लिए धर्म के नाम पर स्थानीय लोगों को उकसाया।

अदालत ने कहा कि प्रदर्शन स्थलों को धर्मनिरपेक्ष रंग देने के लिए “धर्मनिरपेक्ष नाम/हिंदू नाम” दिए गए थे और साजिशकर्ताओं का उद्देश्य विरोध प्रदर्शन को “चक्का जाम” तक ले जाने तथा एकत्रित भीड़ को हिंसा के लिए उकसाना था।

इसने कहा, ‘‘दिनांक 20/21.02.2020 को चांद बाग में और फिर 22/23.02.2020 को हुई बैठकों में अपीलकर्ता के साथ अन्य आरोपी भी शामिल हुए और दंगा रूपी हिंसा तथा दिल्ली को जलाने से संबंधित पहलुओं पर खुलकर चर्चा की गई जो किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र में स्वीकार्य नहीं है।’’

पीठ ने 22 अप्रैल को पारित आदेश में कहा, “वित्तपोषण, हथियारों की व्यवस्था करने, लोगों की हत्या और संपत्ति में आग लगाने के लिए पेट्रोल बम खरीदने तथा इलाके में लगे सीसीटीवी को नष्ट करने की भी बातचीत हुई थी।”

अदालत ने कहा कि तथ्यात्मक सामग्री और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी के खिलाफ “प्रथम दृष्टया सही” मामला बनता है।

इसने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि हिंसक प्रदर्शन विरोध करने के संवैधानिक अधिकार से परे है तथा यह कानून के तहत दंडनीय अपराध है।

फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।

यह हिंसा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी।