Chandigarh : सवालों के घेरे में 300 करोड़ की जमीन, नगर निगम और अर्बन प्लानिंग के रिकॉर्ड में पाया गया बड़ा अंतर…
चंडीगढ़ के मनीमाजरा के पॉकेट नंबर - 6 स्थित ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट से जुड़ी नगर निगम और डिपार्टमेंट ऑफ अर्बन प्लानिंग के आधिकारिक रिकॉर्ड के बीच भारी अंतर सामने आया है। इस समय असमंजस की स्थिति बनी हुई है क्योंकि दोनों ही विभागों के दस्तावेज आपस में मेल नहीं खा रहे हैं।
चंडीगढ़ में नगर निगम और डिपार्टमेंट ऑफ अर्बन प्लानिंग के आधिकारिक दस्तावेजों के बीच बड़ा अंतर सामने आया है। मनीमाजरा के पॉकेट नंबर-6 में प्रस्तावित ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट से जुड़ी जमीन को लेकर दोनों विभागों के रिकॉर्ड एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार करीब 2.17 एकड़ भूमि का अंतर सामने आया है, जिसकी मौजूदा बाजार कीमत लगभग 300 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। इस खुलासे ने प्रशासनिक व्यवस्था और रिकॉर्ड प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मेयर ने क्या कहा ?
जब इस मामले पर नगर निगम की मेयर हरप्रीत कौर बबला से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस विषय की पूरी जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इससे जुड़ा विवरण पूर्व मेयर सर्वजीत कौर के पास हो सकता है, क्योंकि वह उस समय संबंधित डेवलपमेंट कमेटी की अध्यक्ष थीं।
दोनों विभागों के रिकॉर्ड में कहां-कहां अंतर ?
डिपार्टमेंट ऑफ अर्बन प्लानिंग के दस्तावेजों में संत निरंकारी सत्संग भवन के लिए कुल 7.82 एकड़ जमीन दर्ज है, जबकि नगर निगम चंडीगढ़ के रिकॉर्ड में यही क्षेत्रफल 6.30 एकड़ दिखाया गया है। यानी केवल इस जमीन में ही 1.52 एकड़ का अंतर सामने आया है, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 200 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसी तरह, पॉकेट नंबर-6 में स्थित कब्रिस्तान की जमीन को लेकर भी दोनों विभागों के आंकड़े अलग-अलग हैं।
नगर निगम के अनुसार कब्रिस्तान का क्षेत्रफल 2.47 एकड़ है, जबकि अर्बन प्लानिंग विभाग के रिकॉर्ड में यह 3.12 एकड़ दर्ज है। यहां भी 0.65 एकड़ का अंतर सामने आया है, जिसकी कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है। संत निरंकारी सत्संग भवन और कब्रिस्तान की जमीन को जोड़ने पर कुल मिलाकर 2.17 एकड़ का फर्क सामने आता है। यही विसंगति आगे चलकर ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित जमीन को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
आखिर सही रिकॉर्ड किसका ?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि अर्बन प्लानिंग विभाग के रिकॉर्ड में अधिक जमीन दर्ज है, तो वह अतिरिक्त भूमि नगर निगम के रिकॉर्ड से कैसे गायब हो गई। वहीं, यदि नगर निगम का रिकॉर्ड सही माना जाए, तो अर्बन प्लानिंग विभाग ने अतिरिक्त जमीन किस आधार पर दर्शाई। दोनों ही स्थितियों में संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
डेवलपमेंट कमेटी की चेयरमैन ने की जांच की मांग
डेवलपमेंट कमेटी की चेयरमैन और पूर्व मेयर सर्वजीत कौर ने कहा कि इस मामले की वास्तविक स्थिति संबंधित विभागों के अधिकारियों को स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जमीन से जुड़े रिकॉर्ड दोनों विभागों की आपसी प्रक्रिया के तहत तैयार किए गए थे, लेकिन अब कोई भी अधिकारी स्थिति साफ नहीं कर पा रहा है।
उन्होंने मांग की कि यह स्पष्ट किया जाए कि आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर क्यों है और जनता के सामने पूरी सच्चाई लाई जाए। साथ ही उन्होंने दोनों विभागों से जल्द यह तय करने को कहा कि आखिर सही रिकॉर्ड कौन-सा है।
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