सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला ! PG मेडिकल एडमिशन में डोमिसाइल आरक्षण खत्म
भारत के मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट (PG) कोर्स में दाखिले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने डोमिसाइल (निवास स्थान) के आधार पर आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है।

भारत के मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट (PG) कोर्स में दाखिले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने डोमिसाइल (निवास स्थान) के आधार पर आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। इस फैसले का सीधा असर देशभर के मेडिकल छात्रों पर पड़ेगा, खासकर उन राज्यों पर, जहां अब तक PG कोर्स में राज्य के स्थानीय छात्रों को प्राथमिकता दी जाती थी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि PG मेडिकल एडमिशन में डोमिसाइल आधारित आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मेडिकल जैसे महत्वपूर्ण पेशे में गुणवत्ता और योग्यता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि राज्य के निवास स्थान के आधार पर कोई विशेष लाभ दिया जाना चाहिए।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- डोमिसाइल आधारित आरक्षण असंवैधानिक – अदालत ने कहा कि PG मेडिकल एडमिशन में राज्यों द्वारा दिया जाने वाला डोमिसाइल कोटा संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।
- योग्यता को प्राथमिकता – मेडिकल शिक्षा में उच्च गुणवत्ता बनाए रखने के लिए मेरिट (योग्यता) को ही प्रमुख आधार बनाया जाना चाहिए।
- PG स्तर पर आरक्षण की जरूरत नहीं – कोर्ट ने तर्क दिया कि PG मेडिकल कोर्स का उद्देश्य डॉक्टरों को विशेषज्ञता देना है, और इस स्तर पर छात्रों का चयन पूरी तरह उनकी योग्यता और मेरिट पर होना चाहिए।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा पर असर – सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इस फैसले से देश में मेडिकल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और बेहतर डॉक्टर तैयार किए जा सकेंगे।
इस फैसले का छात्रों पर असर
इस फैसले का सीधा असर उन छात्रों पर पड़ेगा, जो अपने राज्य में डोमिसाइल कोटे के तहत PG मेडिकल एडमिशन पाने की उम्मीद कर रहे थे। अब उन्हें NEET PG परीक्षा में उच्च रैंक हासिल करनी होगी, क्योंकि सीटों का आवंटन केवल मेरिट के आधार पर होगा।
इसके अलावा, उन राज्यों को भी झटका लगेगा जो स्थानीय छात्रों को प्राथमिकता देने के लिए डोमिसाइल कोटा लागू कर रहे थे। इससे अब पूरे भारत के मेडिकल छात्रों के लिए अवसर समान होंगे, लेकिन राज्य सरकारों को इस नीति में बदलाव करना होगा।
राज्यों की प्रतिक्रिया
इस फैसले से कई राज्य सरकारें नाखुश हो सकती हैं, क्योंकि वे स्थानीय छात्रों को आरक्षण देने की पक्षधर थीं। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में डोमिसाइल आधारित आरक्षण की नीति लागू थी, लेकिन अब इसे खत्म करना होगा।
कुछ राज्य सरकारें इस फैसले पर पुनर्विचार की अपील कर सकती हैं या नई नीतियां बना सकती हैं, जिससे राज्य के छात्रों को अन्य तरीकों से लाभ मिल सके।
क्या बदल सकता है आगे?
- राज्यों को अब मेडिकल शिक्षा में सुधार और सीटों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना होगा, ताकि स्थानीय छात्रों को अन्य अवसर मिल सकें।
- सर्वोत्तम मेडिकल प्रतिभाओं को देशभर में समान अवसर मिलेंगे, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल सेवाएं बेहतर हो सकती हैं।
- राज्य सरकारें स्थानीय छात्रों को आकर्षित करने के लिए छात्रवृत्ति, आर्थिक सहायता और अन्य प्रोत्साहन योजनाएं लागू कर सकती हैं।
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