चीन के चिड़ियाघर में 600 रुपये में बिक रहा बाघ का पेशाब! वैज्ञानिक दावा या अंधविश्वास?
दुनिया भर में चिड़ियाघरों का उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाना होता है, लेकिन चीन के एक चिड़ियाघर ने हाल ही में एक अजीबोगरीब वजह से सुर्खियां बटोरी हैं।

दुनिया भर में चिड़ियाघरों का उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाना होता है, लेकिन चीन के एक चिड़ियाघर ने हाल ही में एक अजीबोगरीब वजह से सुर्खियां बटोरी हैं। दक्षिण-पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत में स्थित यान बिफेंगक्सिया वन्यजीव चिड़ियाघर (Ya’an Bifengxia Wildlife Zoo) में बाघ के पेशाब को एक औषधीय उत्पाद के रूप में बेचा जा रहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि 250 ग्राम की एक बोतल को 50 युआन ($7 या लगभग 600 रुपये) में बेचा जा रहा है। चिड़ियाघर प्रशासन का दावा है कि बाघ के मूत्र को व्हाइट वाइन के साथ मिलाने से रुमेटीइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) और अन्य बीमारियों के इलाज में मदद मिल सकती है। यह मामला तब उजागर हुआ जब एक पर्यटक ने इस चौंकाने वाली बिक्री को सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद इसे लेकर बवाल मच गया।
क्या सच में बाघ का पेशाब दवा है?
चिड़ियाघर द्वारा किए गए इस दावे पर विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया है। पारंपरिक चीनी चिकित्सा (TCM) में कुछ पशु उत्पादों को औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस तरह के दावों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि रुमेटीइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका इलाज आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के तहत किया जाता है। किसी भी प्रकार के पशु मूत्र में ऐसे कोई प्रमाणित तत्व नहीं पाए गए हैं जो इस बीमारी को ठीक कर सकें। बल्कि, इस तरह के उत्पादों का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
वन्यजीव संरक्षण पर उठे सवाल
इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण और नैतिकता से जुड़े कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या चिड़ियाघर इस तरह के उत्पादों की बिक्री करके वन्यजीवों के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है?
वन्यजीव संरक्षण संगठनों ने इस पर चिंता जताई है। जानवरों से प्राप्त उत्पादों की बिक्री कई बार अवैध शिकार को बढ़ावा देती है। भले ही यह दावा किया जाए कि मूत्र को बिना किसी नुकसान के एकत्र किया जाता है, लेकिन यह प्रथा नैतिकता के दायरे में आती है।
सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
जब यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो लोगों ने इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ लोगों ने इसे अंधविश्वास करार दिया, जबकि कुछ ने इसे वन्यजीवों के प्रति क्रूरता बताया। कई नेटिज़न्स ने यह सवाल भी उठाया कि क्या चीन में अब भी पारंपरिक चिकित्सा के नाम पर वन्यजीवों का शोषण किया जा रहा है।
चीन में वन्यजीव उत्पादों की परंपरा
यह पहली बार नहीं है जब चीन में किसी पशु उत्पाद को औषधीय लाभ के रूप में बेचा गया हो। चीनी पारंपरिक चिकित्सा में टाइगर बोन वाइन (Tiger Bone Wine), गैंडे के सींग (Rhino Horn) और भालू की पित्ती (Bear Bile) जैसे उत्पादों का उपयोग किया जाता रहा है। हालांकि, वन्यजीव संरक्षण समूह इन प्रथाओं के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं।
क्या होगा आगे?
इस विवाद के बाद, चिड़ियाघर प्रशासन पर काफी दबाव बढ़ गया है। अगर इस तरह की बिक्री को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अन्य चिड़ियाघरों में भी ऐसी ही गैर-वैज्ञानिक और अनैतिक प्रथाओं को बढ़ावा दे सकता है।
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