2018 में यूपीएससी को प्रधानमंत्री कार्यालय से कई बार गया था निर्देश, कम से कम 50 पद लैटरल एंट्री के लिए रखें रिजर्व: पवन कुमार टीनू

Aug 23, 2024 - 09:45
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2018 में यूपीएससी को प्रधानमंत्री कार्यालय से कई बार गया था निर्देश, कम से कम 50 पद लैटरल एंट्री के लिए रखें रिजर्व: पवन कुमार टीनू
2018 में यूपीएससी को प्रधानमंत्री कार्यालय से कई बार गया था निर्देश, कम से कम 50 पद लैटरल एंट्री के लिए रखें रिजर्व: पवन कुमार टीनू

यूपीएससी लैटरल एंट्री नियुक्तियों को लेकर आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है। आप नेता पवन कुमार टीनू ने कहा कि भाजपा की सोच ही दलित विरोधी है। वह वर्षों से अनुसूचित जाति- जनजाति आरक्षण खत्म करने की साज़िश रच रही है। 

पार्टी मुख्यालय चंडीगढ़ में मीडिया को संबोधित करते हुए पवन कुमार टीनू ने कहा कि जब 2018 में लैटरल एंट्री माध्यम से नियुक्तियां हुई, उस समय यूपीएससी को प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश जाता था। उन्होंने मीडिया को एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट भी दिखाई, जिसमें कहा गया था कि कम से कम 50 पद लैटरल एंट्री के लिए रखें जाए।

टीनू ने कहा कि लैटरल एंट्री का मकसद उच्च पदों में आरक्षण खत्म करना था, इसलिए भाजपा सरकार ने इसके तहत एक-एक कर नियुक्ति की। क्योंकि अगर इकट्ठे 50-60 नियुक्तियां करते, तो फिर उन्हें आरक्षण के संवैधानिक नियमों का पालन करना पड़ता। उन्होंने कहा कि ऐसी नियुक्ति के लिए यूपीएससी को मात्र 2-3 दिन का ही समय दिया जाता था, ताकि किसी को पता न चले और विवाद न हो।

लेकिन अब उनकी पोल खुल गई, क्योंकि इकट्ठे 45 नियुक्तियों के लिए विज्ञापन दे दिया। ये फैसला भी सिर्फ इसलिए वापस लिया गया, क्योंकि 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर चुनाव नहीं होते तो फैसला नहीं बदलता। उन्होंने कहा कि इस बार जब बीजेपी फंस गई, तो मामला यूपीएससी पर फेंक दिया, जबकि सारा निर्णय केन्द्र सरकार था। दरअसल भाजपा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को मिले संवैधानिक आरक्षण खत्म करना चाहती है।

पवन टीनू ने कहा कि केंद्र सरकार का दलित आरक्षण के खिलाफ काम करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। दलितों के लिए आरक्षण का प्रावधान इसलिए किया गया था कि उनके पास खेती तो छोड़िए, गुजर-बसर करने लायक भी जमीन नहीं थी। उनकी सामाजिक स्थिति भी बेहद दयनीय थी। उन्हें अछूत माना जाता था। इसलिए सरकारी नौकरियों और चुनावों में उनको आरक्षण दिया गया।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार सिर्फ दलितों के खिलाफ ही काम नहीं कर रही है, वह सामान्य वर्ग के भी नौजवानों के खिलाफ भी काम कर रही है। केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 9 लाख 80 हजार पद खाली है, उन्हें भरा नहीं जा रहा है। जबकि देश में करोड़ों नौजवान बेरोजगार भटक रहे हैं। 

इसके अलावा मोदी सरकार में सरकारी नौकरियों की संख्या बहुत कम गई है। 2014 के बाद सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 50 हजार से ज्यादा नौकरियां कम हो गई है। वहीं सरकारी टेलीकॉम कंपनियों में हजारों नौकरियां खत्म हो गई। फिर दर्जनों सरकारी कंपनियों के निजीकरण के कारण हजारों सरकारी नौकरियों के पद समाप्त हो गए।

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