कृषि विशेषज्ञों ने बताए गुलाबी सुंडी और टिंडा गलन की समस्याओं से निजात के उपाए, आप भी जानिए
सज्जन कुमार, चंडीगढ़:
हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय की ओर से गुलाबी सुंडी एवं टिण्डा गलन की समस्या के निवारण हेतु ‘कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम’ आयोजित किया गया।
गांव उमरा व चूली कलां में आयोजित कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों ने नरमा की फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप एवं टिण्डा गलन की समस्या के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि किसानों को नरमा फसल की उपरोक्त समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ‘विश्वविद्यालय आपके द्वार’ तर्ज पर गांव-गांव कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में गांव उमरा में केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन सिरसा, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
नरमा फसल में होने वाले रोगों/बीमारियों की रोकथाम के बारे में किसानों को जागरूक किया। इस तरह के कार्यक्रम जिले के कृषि अधिकारियों एवं कीटनाशक विक्रेताओं के लिए भी आयोजित किए जाएंगे ताकि गुलाबी सुंडी की समस्या को कम किया जा सके।
साप्ताहिक अंतराल पर करें निरीक्षण
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कपास फसल के लिए कीट संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए बताया कि नरमा फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी हेतु दो फेरोमॉन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं या साप्ताहिक अंतराल पर कम से कम 150-200 फूलों का निरीक्षण करें।
सफेद मक्खी एवं हरा तेला का प्रकोप होने पर फलोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी 60 ग्राम या एफिडोपायरोप्रेन 50 जी/एल की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ का छिड़काव करें।
प्रवक्ता ने बताया कि जड़ गलन के प्रबंधन के लिए कार्बन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी को पौधों की जड़ों में डालें। टिण्डा गलन के प्रबंधन के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
बरसात के बाद पानी की निकासी का प्रबंध करें। पहले खाद नहीं डाली है तो अब निराई गुडाई के साथ एक बैग प्रति एकड़ की बिजाई करें। अगर डीएपी पहले डाल चुके हैं तो आधा कट्टा यूरिया प्रति एकड़ डालें।
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