“यह अदालत के साथ खड़े होने का समय”, वकीलों ने न्यायपालिका को लेकर जताई चिंता

राजनेताओं से जुड़े मामलों में न्यायपालिका की चयनात्मक आलोचना करना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। हरीश साल्वे समेत 500 से अधिक प्रमुख वकीलों ने चिंता जाहिर की है। वकीलों ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि देश में एक ‘विशेष ग्रुप’ न्यायपालिका को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। इन सभी… Continue reading “यह अदालत के साथ खड़े होने का समय”, वकीलों ने न्यायपालिका को लेकर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट में कुक की बेटी के किस कमाल से गदगद हुए CJI चंद्रचूड़

एक चायवाले की बेटी, जिसका नाम प्रज्ञा है। सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रज्ञा के पिता चाय बेचने का काम करते हैं। उस होनहार बेटी प्रज्ञा को भारत के मुख्य न्यायधीश ने शॉल ओढ़ाई और सम्मानित किया। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रज्ञा ने अपने दम पर अमेरिका से कानून में स्नातकोत्तर करने के लिए छात्रवृत्ति हासिल की… Continue reading सुप्रीम कोर्ट में कुक की बेटी के किस कमाल से गदगद हुए CJI चंद्रचूड़

अरबों रुपए के चंदे का हिसाब होगा सार्वजनिक, 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने आदेश के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड्स से जुड़ी जानकारियां निर्वाचन आयोग को सौंप दी हैं। बैंक की चेयरमैन ने कहा कि उनकी तरफ से आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों के नाम के साथ-साथ कितने के बॉन्ड खरीदे गए।  बैंक की तरफ से बताया गया… Continue reading अरबों रुपए के चंदे का हिसाब होगा सार्वजनिक, 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द किया, बताया असंवैधानिक

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक” करार देते हुए इसे अमान्य कर दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया, जिससे राजनीतिक फंडिंग की एक विवादास्पद पद्धति का अंत हो गया, जो शुरुआत से ही जांच के… Continue reading सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द किया, बताया असंवैधानिक

न्यायालय ने स्थायी समिति की शक्तियां एमसीडी को सौंपने की याचिका पर सुनवाई टाली

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें अनुरोध किया गया है कि स्थायी समिति गठित होने तक एमसीडी को इसके कार्य करने की अनुमति दी जाए।

आम आदमी पार्टी (आप) की नेता ओबेरॉय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि इससे पहले एक अलग याचिका पर फैसला पिछले साल मई में सुरक्षित रख लिया गया था। इसके बाद अदालत ने महापौर की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी।

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, “सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित की जाती है।”

उल्लेखनीय है कि 17 मई, 2023 को प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक अलग याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें सदस्यों को मनोनीत करने की उपराज्यपाल की शक्ति को चुनौती दी गई थी।

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 250 निर्वाचित और 10 मनोनीत सदस्य हैं। दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल ने उसकी सलाह के बिना 10 सदस्यों को मनोनीत किया था।

महापौर ने नयी याचिका में कहा कि वह नहीं चाहतीं कि मनोनीत सदस्य एमसीडी की स्थायी समितियों के निर्वाचक मंडल का हिस्सा बनें।

महापौर ने स्थायी समिति का गठन होने तक इसके कार्य एमसीडी को सौंपने का अनुरोध किया है।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि स्थायी समिति सभी महत्वपूर्ण कार्य करती है और मध्याह्न भोजन योजना समेत उन मामलों पर फैसले लेती है, जिनके लिए पांच करोड़ रुपये और उससे अधिक के बजट की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि स्थायी समिति का गठन नहीं हो पाया है और इसका एक कारण यह हो सकता है कि शीर्ष अदालत ने पिछली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख रखा है।

देश में अवैध प्रवासियों का आंकड़ा जुटाना संभव नहीं: केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे अवैध प्रवासियों संबंधी आंकड़ा जुटना संभव नहीं है, क्योंकि ऐसे लोग देश में चोरी-छिपे प्रवेश करते हैं।

शीर्ष अदालत असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर रही है।

उच्चतम न्यायालय में दाखिल किये गये हलफनामे में केंद्र ने कहा कि इस प्रावधान के तहत 17,861 लोगों को नागरिकता प्रदान की गई है।

न्यायालय द्वारा सात दिसंबर को पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए केंद्र ने कहा कि 1966-1971 की अवधि के संदर्भ में विदेशी न्यायाधिकरण के आदेशों के तहत 32,381 ऐसे लोगों को पता लगाया गया जो विदेशी थे।

अदालत ने यह भी पूछा था कि 25 मार्च 1971 के बाद भारत में अवैध तरीके से घुसे प्रवासियों की अनुमानित संख्या कितनी है, इस पर केंद्र ने जवाब देते हुए कहा कि अवैध प्रवासी बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के गुप्त तरीके से देश में प्रवेश कर लेते हैं।

केंद्र ने कहा, ‘‘अवैध रूप से रह रहे ऐसे विदेशी नागरिकों का पता लगाना, उन्हें हिरासत में लेना और निर्वासित करना एक जटिल प्रक्रिया है। चूंकि देश में ऐसे लोग गुप्त तरीके से और चोरी-छिपे प्रवेश कर जाते हैं, इसलिए देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे ऐसे अवैध प्रवासियों का सटीक आंकड़ा जुटाना संभव नहीं है।’’

सरकार ने कहा कि 2017 से 2022 तक पिछले पांच वर्षों में 14,346 विदेशियों को निर्वासित किया गया है।

केंद्र ने कहा कि वर्तमान में असम में 100 विदेशी न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं और 31 अक्टूबर 2023 तक 3.34 लाख से अधिक मामले निपटाए जा चुके हैं।

हलफनामे में कहा गया है कि एक दिसंबर 2023 तक विदेशी न्यायाधिकरण के आदेशों से संबद्ध 8,461 मामले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।

सरकार ने असम पुलिस के कामकाज, सीमाओं पर बाड़ लगाने, सीमा पर गश्त और घुसपैठ को रोकने के लिए उठाये गये अन्य कदमों का भी विवरण दिया।

शीर्ष अदालत ने सात दिसंबर को अपने निर्देश में था कि केंद्र, असम में एक जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच बांग्लादेशी नागरिकों को दी गई भारतीय नागरिकता के संबंध में आंकड़ा उपलब्ध कराए।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायमूर्ति की संविधान पीठ ने राज्य सरकार से केंद्र को हलफनामा दायर करने के लिए आंकड़ा प्रदान करने के लिए कहा था।

यह संविधान पीठ नागरिकता अधिनियम की धारा छह-ए की वैधता को लेकर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।