कोर्ट के आदेश पर भी नहीं खुला शंभू बॉर्डर, वकील ने सरकार को भेजा अवमानना का नोटिस

Jul 19, 2024 - 11:55
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कोर्ट के आदेश पर भी नहीं खुला शंभू बॉर्डर, वकील ने सरकार को भेजा अवमानना का नोटिस
कोर्ट के आदेश पर भी नहीं खुला शंभू बॉर्डर, वकील ने सरकार को भेजा अवमानना का नोटिस

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर पर की गई बैरिकेडिंग नहीं हटाई है। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया है। 

वहीं, हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही किसान संगठनों की हलचल तेज हो गई है। वह लगातार अपनी आगामी रणनीति को लेकर बैठक कर रहे हैं। इसी बीच अब एडवोकेट उदय प्रताप सिंह ने हरियाणा के मुख्य सचिव को कोर्ट के आदेश की अवहेलना का नोटिस भेजा है। 

वकील उदय प्रताप ने नोटिस में पूछा है कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेट्स तय समय पर क्यों नहीं हटाए गए? नोटिस में हरियाणा सरकार को हाई कोर्ट का आदेश मानने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी गई है। इसमें कहा गया है कि अगर 15 दिन में शंभू बॉर्डर नहीं खोला गया तो कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।

सरकार ने नहीं किया पालन

बता दें कि किसान संगठन 13 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को रोकने के लिए कई लेयर की सिक्योरिटी लगाई है। 

वहीं, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को एक सप्ताह में शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, जिसे सरकार ने नहीं माना है। 

सुप्रीम कोर्ट पहुंची हरियाणा सरकार

हरियाणा सरकार की ओर से 13 जुलाई को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 22 जुलाई को सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में हरियाणा सरकार ने कानून व्यवस्था को आधार बनाया है। 

हरियाणा सरकार ने दलील दी है कि हाईकोर्ट ने जमीनी हकीकत को जाने बिना ही शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया है, लिहाजा हरियाणा सरकार उसके फैसले का इंतजार कर रही है।

जब किसानों ने दिल्ली में डाला था डेरा

केंद्र सरकार 2020 में 3 नए कृषि कानून लेकर आई थी, जिसे बाद में किसानों के विरोध के चलते सरकार ने वापस ले लिया था। इन तीनों कृषि कानून को लेकर देशभर के किसान करीब एक साल तक धरने पर बैठे रहे थे।

आंदोलनकारी किसानों की मांग थी कि न केवल 3 नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए बल्कि सरकार MSP की कानूनी गारंटी भी दे। 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया था कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस लेने जा रही है।

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