साहस, सत्य और त्याग की मिसाल श्री गुरु तेग बहादुर जी के सबक आज भी हैं रोशन, शहीदी दिवस पर दें सच्ची श्रद्धाजंली
नौवें सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी, लेकिन अपने सिद्धांत नहीं। उनके आदर्शों को अपनाना उनके शहीदी दिवस पर सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सिख धर्म के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी, जिनका जन्म त्यागमल नाम से हुआ था, उन्हें साहस, शौर्य और धर्म की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। वर्ष 1675 में उन्होंने मानवता और धार्मिक स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दिया था, जो भारतीय इतिहास में अमर हो चुका है। श्री गुरु तेग बहादुर जी को सम्मानपूर्वक ‘हिंद दी चादर’ कहा जाता है - क्योंकि उन्होंने अत्याचारों से आम जन की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था 24 नवंबर 2025 को उनकी शहादत का दिवस देशभर में श्रद्धा और आदर के साथ मनाया जा रहा है।
यह दिन हमें उनके अद्वितीय बलिदान की याद दिलाने के साथ-साथ जीवन के उन मूल्यों पर भी विचार करने के लिए प्रेरित करता है, जिन्हें वे अपनी वाणी और आचरण से सिखाते रहे। उनकी निडर वाणी आज भी हर पीढ़ी को साहस, सत्य और दृढ़ संकल्प के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएँ केवल सिख समाज ही नहीं, संपूर्ण मानवता के लिए अमूल्य धरोहर हैं। उनके सिद्धांतों को जीवन में अपनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
श्री गुरु तेग बहादुर जी के प्रेरक विचार
सत्य और धर्म की रक्षा के लिए यदि प्राणों का त्याग भी करना पड़े, तो पीछे नहीं हटना चाहिए। जो व्यक्ति कमजोरों के अधिकारों की रक्षा करता है, वही वास्तविक वीर है। धर्म से बड़ा कोई खजाना नहीं और धर्म हेतु दिया गया बलिदान सबसे श्रेष्ठ है। जो व्यक्ति धर्म की रक्षा में संघर्षरत रहता है, उसका नाम सदैव अमर रहता है। सच्चे धर्म के पथ पर चलने वाला कभी पराजित नहीं होता।
श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहादत दिवस पर क्या करें?
1. अरदास और पाठ
गुरुद्वारे जाकर या घर पर जपजी साहिब, सुखमनी साहिब या सरल अरदास करें। इससे मन में शांति और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।
2. लंगर सेवा में योगदान
गुरु साहिब ने सेवा को सर्वोपरि बताया है। आज के दिन गुरुद्वारे में लंगर सेवा करें या लंगर में सहयोग दें। यह उनके उपदेशों का वास्तविक पालन है।
3. जरूरतमंदों की सहायता
गरीब और असहाय लोगों को गर्म कपड़े, कंबल, भोजन या अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान करें। यह करुणा और मानव सेवा का प्रत्यक्ष रूप है।
4. बच्चों को प्रेरित करें
आज अपने बच्चों को गुरु तेग बहादुर जी के साहस, सत्य, अहिंसा और त्याग से जुड़े प्रसंग सुनाएँ ताकि वे भी उनके जीवन से सीख लेकर मानवता के मार्ग पर चल सकें।
What's Your Reaction?