निर्दलीय विधायक बनने वाली सावित्री जिंदल हरियाणा की चौथी महिला, इस चुनाव में चुने गए सबसे कम निर्दलीय विधायक

एक नवंबर 1966 को हऱियाणा गठन के बाद यह पहला मौका है, जब विधानसभा चुनाव में सबसे कम निर्दलीय उम्मीदवार चुने गए हैं।

Oct 14, 2024 - 11:44
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निर्दलीय विधायक बनने वाली सावित्री जिंदल हरियाणा की चौथी महिला, इस चुनाव में चुने गए सबसे कम निर्दलीय विधायक
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चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : एक नवंबर 1966 को हऱियाणा गठन के बाद यह पहला मौका है, जब विधानसभा चुनाव में सबसे कम निर्दलीय उम्मीदवार चुने गए हैं। 1967 में पहली बार प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 16 निर्दलीय विधायक चुने गए थे। 1982 के चुनाव में भी 16 निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। यह दो चुनाव ऐसे थे, जिनमें अब तक के सबसे अधिक निर्दलीय विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके अलावा 1977, 1987, 2009 और 2019 के आम चुनावों में 7-7 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। 1996 और 2005 के विधानसभा चुनावों में 10-10 निर्दलीय विधायक बने। 1968 चुनाव में 6 निर्दलीय विधायक जीत कर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। वहीं, 1991 और 2014 के चुनावों में 5-5 निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे। इतना ही नहीं वर्ष 1982, 2009 और 2019 में तो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से ही सरकार बनी थी।

सावित्री जिंदल बनी चौथी निर्दलीय जीतने वाली महिला विधायक

हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब सबसे कम तीन ही निर्दलीय विधायक चुने गए हैं। दूसरी ओर हिसार से निर्दलीय विधायक बनीं सावित्री जिंदल प्रदेश की चौथी महिला विधायक हैं, जो निर्दलीय चुनी गई हैं। उनसे पहले केवल तीन ही महिलाओं ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की है। हालांकि इस बार के चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के बागियों की संख्या के हिसाब से निर्दलीय विधायकों की संख्या अच्छी-खासी होने की उम्मीद थी, लेकिन मतदाताओं ने इस बार निर्दलीयों ही नहीं, क्षेत्रीय दलों को भी नकारने का काम किया। अलबत्ता मुख्य तौर पर सत्तारूढ़ भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस के उम्मीदवारों को ही सर्वाधिक वोट बैंक मिला। इस बार बहादुरगढ़ हलके से कांग्रेस के बागी राजेश जून ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता है। कांग्रेस ने यहां से मौजूदा विधायक राजेंद्र सिंह जून को टिकट दिया था।

राजेश जून ने राजेंद्र जून को ना केवल चुनाव में शिकस्त दी बल्कि तीसरे नंबर पर भी धकेल दिया। इसी तरह गन्नौर हलके से भाजपा के बागी देवेंद्र सिंह कादियान निर्दलीय विधायक बने हैं। भाजपा ने यहां से पूर्व सांसद रमेश चंद्र कौशिक के भाई देवेंद्र कौशिक को टिकट दिया था। कौशिक भी तीसरे पायदान पर रहे हैं। भाजपा ने हिसार शहर से नायब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे और दो बार के विधायक डॉ़. कमल गुप्ता को टिकट दिया था। कुरुक्षेत्र सांसद नवीन जिंदल की माता सावित्री जिंदल यहां से टिकट मांग रही थीं। सावित्री जिंदल को टिकट नहीं मिला तो उन्होंने आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। वे चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। वहीं भाजपा के कमल गुप्ता अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। अब तीनों ही निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद बीजेपी के 48 विधायकों के साथ सरकार के पास 51 विधायकों की संख्या हो गई है।

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