हुड्डा-वाड्रा के खिलाफ जांच को हाईकोर्ट की मंजूरी, ढींगरा आयोग को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

Jul 4, 2024 - 11:42
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हुड्डा-वाड्रा के खिलाफ जांच को हाईकोर्ट की मंजूरी, ढींगरा आयोग को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
हुड्डा-वाड्रा के खिलाफ जांच को हाईकोर्ट की मंजूरी, ढींगरा आयोग को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
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एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़:

विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में एक बार फिर से राजनीतिक भूचाल आ सकता है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भूपेंद्र हुड्डा की ओर से ढींगरा आयोग को चुनौती देने वाली याचिका का खारिज करते हुए आयोग के गठन को सही करार दिया है। 

कोर्ट के इस फैसले के बाद हरियाण के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती है। हालांकि हाईकोर्ट ने निर्देश दिए है कि जांच को आगे बढ़ाने से पहले जांच आयोग को भूपेंद्र हुड्डा को अपने बचाव के लिए नोटिस देना होगा। 

अब जांच पुराना ढींगरा आयोग करेगा या फिर इसके लिए किसी आयोग का गठन किया जाएगा, इसका फैसला हरियाणा सरकार पर छोड़ा गया है। 

सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपी थी रिपोर्ट

बता दें कि वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामले की जांच के लिए मनोहर लाल सरकार ने 2015 में ढींगरा आयोग का गठन किया था। आयोग ने 31 अगस्त 2016 में 182 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। 

10 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप था कि उन्होंने रियल स्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ के साथ गुडगांव में हुए जमीन सौदों में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर अनुचित लाभ पहुंचाया था। हरियाणा सरकार ने आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपी थी। इस मामले की जांच कैग और एसआईटी भी कर चुकी है। 

भूपेंद्र हुड्डा ने किया हाईकोर्ट का रूख

ढींगरा आयोग की वैधता को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा एक बार फिर हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। हुड्डा ने इस मामले में तीन जजों की अलग-अलग राय होने के कारण दलील रखी है कि अब इस मामले की सुनवाई किसी अन्य जज से करवाई जाए। 

उनका तर्क है कि ढींगरा आयोग को लेकर अब तक जजों की खंडपीठ ने अलग-अलग राय दी है जिससे स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं हुई हो पाई है। 2019 में भी इस मामले को लेकर हाई कोर्ट के दो जजों की राय अलग थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनाव के बीच हाई कोर्ट का रुख किया था।  

यह था मामला 

गुरुग्राम पुलिस ने लैंड डील मामले में राबर्ट वाडा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। ग्रामीणों ने एफिडेविट देकर आरोप लगाया था कि बोगस कंपनियां खड़ी करके उनकी जमीन 27 लाख प्रति एकड़ के रेट से खरीदी गई और उन्हें 27 करोड़ एकड़ के भाव से बेचा गया। 

इस संदर्भ में गुड़गांव के खेड़की दौला पुलिस स्टेशन में भी एफआईआर दर्ज हुई थी। भूमि चकबंदी एवं भूमि अभिलेख के तत्कालीन महानिदेशक रहे अशोक खेमका ने जांच के बाद पाया था कि जमीन सौदों से राज्य को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। 

उन्होंने 2005 के बाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा खरीदे गए जमीनों के सौदे की जांच के आदेश दिए थे और लैंड डील को अवैध बताते हुए इसे रद्द कर दिया था। 2015 में भाजपा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए आयोग गठित किया था। 

नए आयोग के गठन की भी चर्चाएं 

लैंड डील मामले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नए जज की तलाश शुरू कर दी गई है। इस मामले की जांच पहले दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा कर रहे थे, जिन्हें लेकर विपक्ष ने कई आरोप लगाए थे। चर्चा है कि प्रदेश सरकार दिलली के किसी नए रिटायर्ड जज को लैंड डील मामले की जांच सौंपने पर विचार कर रही है।

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