धान की पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के रूप में मिट्टी की उत्पादकता भी होती है कम: डॉ. अमरीक सिंह

फरीदकोट के डिप्टी कमिश्नर विनीत कुमार के नेतृत्व में चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत डीडी फरीदकोट कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और आरजीआर सेल ने ब्लॉक फरीदकोट के गांव दलेवाला में भूरा पंचायत का आयोजन किया।

Oct 11, 2024 - 11:51
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धान की पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के रूप में मिट्टी की उत्पादकता भी होती है कम: डॉ. अमरीक सिंह
धान की पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के रूप में मिट्टी की उत्पादकता भी होती है कम: डॉ. अमरीक सिंह
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फरीदकोट के डिप्टी कमिश्नर विनीत कुमार के नेतृत्व में चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत डीडी फरीदकोट कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और आरजीआर सेल ने ब्लॉक फरीदकोट के गांव दलेवाला में भूरा पंचायत का आयोजन किया। इस अवसर पर नुकर नाटक भी किया गया। धान की पराली जलाने से होने वाले नुकसान और उसकी देखभाल के बारे में जागरूक करते हुए डॉ. अमरीक सिंह ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार रहंद खुन्हड़ में आग लगने से पंजाब में करीब 200 करोड़ टन नाइट्रोजन और सल्फर की फसल को नुकसान पहुंचा है।

उन्होंने कहा कि एक टन घास जलाने से मिट्टी में 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश और 1 किलोग्राम सल्फर और सूक्ष्म जीवों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि नवंबर माह के दौरान 85 प्रतिशत मरीज वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि धान की पराली जलाने से मानव, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से और अधिक समस्याएं पैदा होती हैं।

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