हरियाणा में ‘जीत की देवी’ से दोबारा आशीर्वाद लेंगे अमित शाह, कई बड़े राजनीतिक चेहरे होंगे BJP में शामिल

हरियाणा में भले ही अभी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की ओर से उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से पहले ही प्रदेश में सियासत की गर्माहट लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर प्रदेश में राजनीतिक बिसात बिछाने में लगी है।

Aug 31, 2024 - 13:12
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हरियाणा में ‘जीत की देवी’ से दोबारा आशीर्वाद लेंगे अमित शाह, कई बड़े राजनीतिक चेहरे होंगे BJP में शामिल
हरियाणा में ‘जीत की देवी’ से दोबारा आशीर्वाद लेंगे अमित शाह, कई बड़े राजनीतिक चेहरे होंगे BJP में शामिल

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

हरियाणा में भले ही अभी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की ओर से उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से पहले ही प्रदेश में सियासत की गर्माहट लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर प्रदेश में राजनीतिक बिसात बिछाने में लगी है। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से 2024 के इस चुनावी दंगल की शुरूआत पांडू पिंडारा की धरती जिसे हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहलाने वाले जींद से करने जा रही है। एक सितंबर को केंद्रीय मंत्री अमित शाह जींद की धरती से जीत की देवी का आशीर्वाद लेने के साथ ही चुनावी हुंकार भरेंगे। इस दौरान प्रदेश के हर क्षेत्र और वर्ग को साधने के लिए बीजेपी के कई दिग्गज भी चुनावी मैदान में उतरेंगे। 

केंद्रीय मंत्रियों के साथ प्रदेश का पूरा नेतृत्व भरेगा हुंकार

एक सितंबर को जींद के एकलव्य मैदान में होने वाली भारतीय जनता पार्टी की रैली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के अलावा केंद्र में उनके कईं अन्य सहयोगियों के साथ प्रदेश बीजेपी का पूरा नेतृत्व जीत के लिए हुंकार भरेगा। एक ओर बीजेपी जहां "बांगर की धरती" से जाटलैंड को साधने का बड़ा प्रयास करेगी। वहीं, रैली में पार्टी के कई बड़े नेताओं के आने से यह बात भी पक्की हो जाती है कि इस बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव पहले चुनावों से कई ज्यादा रोचक होने वाला है। भाजपा द्वारा जींद में की जा रही इस रैली की आहट से ही दूसरे राजनीतिक दलों को पसीना आने लगा है। राजनीतिक दल नाराज चल रहे अपने नेताओं को मनाने में जुट गए हैं, क्योंकि माना जा रहा है कि इस दिन बीजेपी हरियाणा की राजनीति में बड़ा सरप्राइज दे सकती है। 

पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने यहां जयंती देवी (जीत की देवी) के सम्मान में एक मंदिर बनाया था। कौरवों के खिलाफ लड़ाई में यहां सफलता के लिए प्रार्थना की थी। उसके बाद से ही मान्यता है कि यहां से किसी भी राजनीतिक जंग की शुरूआत करने वाले पर जयंती देवी का आशीर्वाद रहता है और उसे जीत अवश्य मिलती है। 

पूरी तैयारी के साथ उतरेगी बीजेपी

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी महाभारत के अंतिम छोर जींद की धरती से कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दलों को बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। बीजेपी जाट लैंड से कई बड़े राजनीतिक संदेश देने जा रही है। जींद विधानसभा भारतीय जनता पार्टी की सेफ सीट मानी जाती है। यहां से पार्टी दो बार लगातार चुनाव जीत चुकी है। जींद के आसपास के क्षेत्र और अन्य विधानसभाएं जाट बाहुल्य मानी जाती हैं। जींद की जन आशीर्वाद रैली में भाजपा ने "जाट लैंड" को साधने की पूरी तैयारी की है और हर कार्यकर्ता को काम पर लगाया हुआ है। यह भी तय है कि रैली से हरियाणा को नया मैसेज मिलेगा। भाजपा अपनी पूरी ताकत के साथ रैली को सफल करने के लिए धरातल पर काम कर रही है। पार्टी ने पूरी जिला टीम के साथ-साथ बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को भी रैली में भीड़ लाने का काम दिया है।

जींद से शुरूआत करने वाले दल का हुआ राजतिलक

हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में यह किस्सा आम है कि जिस भी राजनीतिक दल ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत जींद से की और जिसने सबसे अधिक ताकत दिखाई, उसी दल का प्रदेश की सत्ता के सिंहासन पर राजतिलक हुआ और जींद के रास्ते चंडीगढ़ में बैठकर हरियाणा की सत्ता चलाई। इनेलो से अलग होने के बाद जेजेपी ने भी जींद की धरती पांडू पिंडारा से अपनी नई राजनीतिक पार्टी का आगाज किया था, जिसके बाद 2019 के चुनाव में 10 विधानसभा सीट जीतकर किंग मेकर की भूमिका निभाते हुए साढ़े 4 साल तक बीजेपी के साथ सत्ता में भागीदारी की। 

हर दल की पसंद रहा जींद

चौ. बंसीलाल ने 1995 में हरियाणा विकास पार्टी की बड़ी रैली की थी, जिसके बाद प्रदेश में उनकी लहर बनी और 1996 में वह सत्ता तक पहुंचे थे। वहीं, कंडेला कांड के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 2002 में जींद से किसान पदयात्रा शुरू की थी, जिसके बाद 2005 में वह सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए थे। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ने जींद में बड़ी रैली की थी, जिसमें अमित शाह भी पहुंचे थे। 2019 के चुनाव को लेकर भी अमित शाह ने 2018 में जींद से ही बाइक रैली की शुरूआत के साथ चुनावी आगाज किया था। नतीजतन 2019 में फिर से बीजेपी की सरकार बनी थी। प्रदेश के मध्य में पड़ने वाले जींद से उठने वाली राजनीतिक आवाज का पूरे प्रदेश में असर पड़ता है। 

देवीलाल ने बनाया था रिकॉर्ड

1986 में न्याय युद्ध का आगाज करने वाले चौधरी देवीलाल और मंगलसेन की जोड़ी ने जींद की धरती को ही चुना था। जींद में एक विशाल रैली करने के बाद 1987 में लोकदल और जनसंघ गठबंधन की सरकार ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीट में से 85 सीट जीतकर पूरे देश को चौंका दिया था। इतना ही नहीं इस रैली के बाद चौधरी देवीलाल देश के सर्वोच्च पदों में एक उप प्रधानमंत्री जैसे पद तक भी पहुंचे थे। 

हुड्डा ने भी की थी शुरूआत 

राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि किसी समय में चौधरी भजनलाल कांग्रेस के मजबूत स्तंभ हुआ करते थे। राजनीति में उनका सामना करने के लिए उस समय चौधरी भूपेंद्र हुड्डा ने जींद की धरती से एक बड़ी रैली कर अपना दबदबा कांग्रेस आला कमान को दिखाया था। रोचक बात यह है कि हुड्डा की इस रैली में कांग्रेस के उस समय से कईं मजबूत स्तंभ, जिनमें कर्नल रामसिंह, शमशेर सिंह सुरजेवाला, राव इंद्रजीत, पंडित चिरंजीलाल शर्मा जैसे चेहरे एक मंच पर नजर आए थे। इस रैली के बाद ही भूपेंद्र हुड्डा का कद बढ़ने लगा और उन्हें कांग्रेस में कईं अहम जिम्मेदारियां मिलने लगी। 

जजपा के विधायक होंगे BJP में शामिल

इस रैली में दुष्यंत चौटाला का साथ छोड़ चुके जजपा के तीन विधायक अनूप धानक, जोगीराम सिहाग और रामकुमार गौतम इसी दिन भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इनके अलावा कुछ और बड़े नेता भी शामिल हो सकते हैं। जींद में लगातार दो बार से भाजपा विधायक हैं। जुलाना और उचाना जाटलैंड सीट हैं। वहीं नरवाना सुरक्षित सीट है। इसके अलावा सफीदों में जाटों का भी अच्छा प्रभाव है, इसलिए इन पांचों सीट पर भाजपा की नजर है। इन पांचों सीटों के अलावा भाजपा जींद की धरती से पूरे प्रदेश में सियासी संदेश देना चाह रही है।

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