आज मां कूष्माण्डा की करें आराधना, जानिए चौथे दिन की विशेष पूजा विधि और महत्व

आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है, जिसमें मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्माण्डा की आराधना की जाती है। सनातन धर्म में नवरात्रि के दौरान शक्ति की साधना का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने से भक्तों को देवी की कृपा और सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। 

Oct 6, 2024 - 09:21
Oct 6, 2024 - 09:28
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आज मां कूष्माण्डा की करें आराधना, जानिए चौथे दिन की विशेष पूजा विधि और महत्व
Worship of Mother Kushmanda
आज मां कूष्माण्डा की करें आराधना, जानिए चौथे दिन की विशेष पूजा विधि और महत्व
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चौथा दिन मां कूष्माण्डा की पूजा: आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है, जिसमें मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्माण्डा की आराधना की जाती है। सनातन धर्म में नवरात्रि के दौरान शक्ति की साधना का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने से भक्तों को देवी की कृपा और सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्माण्डा की एक मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था। इन्हें अष्टभुजा देवी के रूप में पूजा जाता है। चलिए, जानते हैं मां कूष्माण्डा की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती।

तिथि: हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 6 अक्तूबर को प्रातः 07:49 बजे से शुरू होकर 7 अक्तूबर को प्रातः 09:47 बजे तक रहेगी।

मां कूष्माण्डा का स्वरूप: मां कुष्माण्डा का वाहन सिंह है और उनके पास 8 भुजाएं हैं। इनमें से 7 भुजाओं में वे कमल, अमृत कलश, कमण्डल और शस्त्र जैसे धनुष, बाण, चक्र तथा गदा धारण करती हैं। जबकि, आठवें हाथ में वे जप माला रखती हैं, जो सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली मानी जाती है। मां को कुम्हड़े की बलि प्रिय है, और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्माण्डा कहा जाता है।

पूजा विधि:

1. पीले वस्त्र पहनें: इस दिन पूजा के लिए पीले रंग के वस्त्र पहनें।

2. पीला चंदन लगाएं: पूजा के समय मां को पीला चंदन लगाएं।

3. कुमकुम, मौली और अक्षत चढ़ाएं।

4. पान के पत्ते पर केसर: थोड़ा सा केसर लेकर "ऊँ बृं बृहस्पते नम:" मंत्र का जाप करते हुए देवी को अर्पित करें।

5. ॐ कूष्माण्डायै नम: मंत्र की एक माला जाप करें और दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।

6. भोग: मां कूष्माण्डा को पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां और पीली मिठाई अर्पित करें।

प्रिय भोग: मां को हलवा, मीठा दही या मालपुए का प्रसाद चढ़ाएं और इसे स्वयं ग्रहण करें, साथ ही ब्राह्मणों को दान दें।

प्रिय फूल और रंग: मां कुष्माण्डा को लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल और लाल गुलाब प्रिय हैं, इसलिए इन्हें पूजा में अर्पित करें।

पूजा का महत्व: मां कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। जिन लोगों को संसार में प्रसिद्धि की चाह है, उन्हें मां की पूजा करनी चाहिए। देवी की कृपा से उन्हें यश की प्राप्ति होती है।

प्रार्थना मंत्र: सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। 

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

बीज मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नमः

इस तरह से आप मां कुष्माण्डा की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

 

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