क्यों खास है इस साल की मकर संक्रांति ? जानिए दान और पूजा का सही समय
मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक प्रमुख त्योहार है, जो न केवल सामाजिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व रखता है।
मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक प्रमुख त्योहार है, जो न केवल सामाजिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व रखता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है।
मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व
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सूर्य और शनि का संबंध:
मकर संक्रांति का मुख्य ज्योतिषीय महत्व सूर्य और शनि के संबंध से जुड़ा है। यह माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने आते हैं। चूंकि शनि मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है। -
खरमास का अंत:
धनु खरमास समाप्त होने के साथ मकर संक्रांति शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक बनती है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्यों का आयोजन किया जा सकता है। -
कुंडली दोष निवारण:
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य या शनि अशुभ स्थिति में हों, तो इस दिन विशेष पूजा-पाठ और दान के माध्यम से दोषों का निवारण किया जा सकता है।
मकर संक्रांति 2025: क्या है खास?
इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को प्रातः 09:03 बजे से प्रारंभ होगी। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे और चंद्रमा के साथ समसप्तक स्थिति में होंगे। यह विशेष खगोलीय घटना मकर संक्रांति को और भी अधिक शुभ बना रही है।
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शनि की विशेष कृपा:
शनिदेव इस समय अपनी स्वयं की राशि कुंभ में स्थित हैं, और सूर्य मकर राशि में। यह स्थिति शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है। -
पुण्यकाल का समय:
पुण्यकाल 14 जनवरी को प्रातः 09:03 से सायं 05:45 तक रहेगा। इस अवधि में स्नान, ध्यान, और दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
मकर संक्रांति पर क्या करें?
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स्नान और अर्घ्य:
प्रातः काल स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। यह कार्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। -
मंत्र जाप और गीता पाठ:
सूर्य और शनिदेव के मंत्रों का जाप करें। यदि संभव हो तो गीता का पाठ भी करें। -
दान करें:
- नए अन्न, तिल, गुड़, कंबल और घी का दान पुण्यफलदायी होता है।
- इस दिन पीपल का पौधा लगाना भी शुभ माना गया है।
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खिचड़ी और प्रसाद:
भोजन में नए अन्न से बनी खिचड़ी तैयार करें और भगवान को अर्पित कर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें। यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
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