हरियाणा में मंत्रियों की संख्या पर दशमलव पर क्यों फंसता है पेच, जानिए क्या कहते हैं संविधान के जानकार ?

हरियाणा में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर पहले से ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका विचाराधीन है। ऐसे में अब 15वीं विधानसभा में मंत्रियों की संख्या को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है।

Oct 11, 2024 - 14:51
 35
हरियाणा में मंत्रियों की संख्या पर दशमलव पर क्यों फंसता है पेच, जानिए क्या कहते हैं संविधान के जानकार ?
Advertisement
Advertisement

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर पहले से ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका विचाराधीन है। ऐसे में अब 15वीं विधानसभा में मंत्रियों की संख्या को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा इस बात की है कि क्या इस बार भी पिछली सरकारों की भांति हरियाणा मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री को मिलकर मंत्रियों की संख्या 14 ही रखी जाएगी, जिसे लेकर विवाद है, या फिर इसे कम कर 13 किया जाएगा। इसी मामले को लेकर हमने संविधान के जानकार और हरियाणा विधानसभा से स्पेशल सचिव के पद से सेवानिवृत रामनारायण यादव से खास बातचीत की।

राम नारायण यादव ने बताया कि हरियाणा में संविधान के आर्टिकल 164 के नुसार किसी भी मंत्रिमंडल में उसकी संख्या से कुल 15 प्रतिशत तक की संख्या में ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। चूंकि हरियाणा में विधायकों की संख्या 90 है, इस हिसाब से हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल में कुल 13.5 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी विचाराधीन है, जिस पर अंतिम फैसला आना अभी बाकी है।

13.5 को 14 ही मानेंगे

केंद्र सरकार की ओर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि हरियाणा में 14 मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती हैं क्योंकि 13.5 का मतलब 14 माना गया है। यादव ने बताया कि 13.5 को 14 ही मानेंगे। उन्होंने बताया कि कहीं पर विवाद 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा हो तो उसे एक मान लिया जाता है। उस हिसाब से यह 14 हो जाता है।

आसाम सरकार ने बनाया था एक्ट

रामनारायण यादव बताते हैं कि पहले मंत्रियों की 15 प्रतिशत की संख्या के अलावा संसदीय सचिव भी नियुक्ति किए जाते थे। वह हरियाणा में बनाए जाने वाले 14 मंत्रियों से अलग होते ते। आसाम सरकार ने 2004 में इसे लेकर एक एक्ट बनाया था, जिसके तहत मंत्रियों की 15 प्रतिशत की तय सीमा से हटकर संसदीय सचिव लगाए जा सके, लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इन सबके लिए 15 प्रतिशत तक की ही सीमा तय कर दी थी।

ज्ञानचंद गुप्ता अभी भी स्पीकर

हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता इस बार विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए हैं। ऐसे में उनके पास अभी भी विधानसभा अध्यक्ष की सभी सुविधाएं मौजूद है। इसे लेकर रामनारायण यादव ने बताया कि संविधान में साफ तौर पर उल्लेख है कि जब तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होती, तब तक पिछले अध्यक्ष ही विधानसभा अध्यक्ष रहेंगे। ऐसे में सरकार गठन के बाद प्रोटॉम स्पीकर की नियुक्ति के समय भी ज्ञानचंद गुप्ता ही विधानसभा अध्यक्ष होंगे। नए स्पीकर के चुनाव के बाद ज्ञानचंद गुप्ता और प्रोटॉम स्पीकर का पद खुद ही समाप्त हो जाएगा, लेकिन नए स्पीकर के चुने जाने तक गुप्ता ही हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष रहेंगे।

खत्म हो गया शक्ति रानी शर्मा का मेयर पद

रामनारायण यादव ने बताया कि अंबाला से मेयर शक्तिरानी शर्मा ने कालका से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। इसलिए 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद जब उन्हें जीत का प्रमाण पत्र दिया गया, उसी समय से उनका मेयर पद समाप्त मान लिया जाता है। हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट 1984 में इसका स्पष्ट तौर उल्लेख किया गया है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow