भगवान श्रीकृष्ण की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी करेंगे सेवा : कविता पौडवाल
उपदेशों को कुरुक्षेत्र की पावन धरा से ही धारण किया जा सकता है। प्रसिद्ध गायिका कविता पौडवाल कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में सांस्कृतिक संध्या में विशेष बातचीत कर रही थी।
एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ : प्रसिद्ध गायिका कविता पौडवाल ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी दर सेवा करेंगे। इस सेवा को पूरा करने के लिए बचपन से ही वह भगवान श्रीकृष्ण और शिव की आराधना कर रही है। इनकी सेवा करने के लिए समय की सीमाएं भी टूट जाती है। यह सेवाभाव उनकी माता अनुराधा पौडवाल से मिला। इतना ही नहीं इस देश की संस्कृति, संस्कारों और इतिहास को जानने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को मोह से मुक्ति दिलाने के लिए दिए गए गीता के उपदेशों को धारण करने की जरूरत है। इन उपदेशों को कुरुक्षेत्र की पावन धरा से ही धारण किया जा सकता है। प्रसिद्ध गायिका कविता पौडवाल कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में सांस्कृतिक संध्या में विशेष बातचीत कर रही थी।
उन्होंने कहा कि उनका परिवार सनातन धर्म से जुड़ा हुआ है और जो व्यक्ति ईश्वर में विश्वास करता है, ईश्वर की राह पर चलता है, वहीं सही मायने में सनातनी होता है। आज आधुनिक दौर में ईश्वर की आराधना करनी जरुरी है और ईश्वर को सच्चे मन से याद करने की जरुरत है। एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजनों का मुंबई के समाचार पत्रों और सोशल साइटस प्लेटफार्म से सहज जानकारी मिल रही है। यह महोत्सव अब जन-जन का महोत्सव बन गया है। इस पावन धरा पर आकर कुरुक्षेत्र को जानने और महाभारत के रंग के क्षेत्र को देखने तथा गीता उपदेश स्थली को जानने और समझने का अवसर मिलता है।
हालांकि महाभारत के नाम से कुरुक्षेत्र को पूरी दुनिया जानती है।
गायिका ने कहा कि उसके भगवान श्री कृष्ण, लक्ष्मी, गायत्री मंत्र और अमृतवाणी सहित लगभग 40 संगीत एल्बम जारी हो चुके है और वर्ष 1995 से ही भक्ति गीत गा रही है। इसके अलावा बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी पाश्र्व गायन किया है। वे मुख्य रुप से हिंदी भाषा की फिल्मों और तमिल, तेलगू, बंगाली, कन्नड़, मराठी, गुजराती, नेपाली, मलयालम, उडिया, भोजपूरी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में भी गायन कर चुकी है। उन्होंने पंडित जिया लाल बसंत और सुरेश वाडेकर तथा उनके माता-पिता अरुण पौडवाल और अनुराधा पौडवाल से हिंदूस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण मिला है।
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