HMPV वायरस को लेकर फैलाए जा रहे हैं ये मिथ, परेशान होने से पहले जरूर जान लें सच

उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि जिन लोगों ने फ्लू वैक्सीन और कोविड-19 वैक्सीन की तीनों खुराक ली हैं, उनमें दूसरों की तुलना में HMPV से लड़ने की संभावना अधिक है। उन्होंने संक्रमण को रोकने के लिए बुनियादी सावधानियों पर भी जोर दिया है।

Jan 10, 2025 - 03:50
Jan 10, 2025 - 06:16
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HMPV वायरस को लेकर फैलाए जा रहे हैं ये मिथ, परेशान होने से पहले जरूर जान लें सच
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हैदराबाद के डॉक्टर ने HMPV को लेकर घबराने की बजाय सावधानी बरतने और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लेने की सलाह दी है। ज्यादा गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है। यह बीमारी खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को जल्दी ही अपना शिकार बना लेती है। एचएमपीवी के कारण खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में दिक्कत जैसे फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। ज्यादा गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि इस बीमारी को लेकर घबराने की जरूरत नहीं

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) को लेकर चिंताओं को दूर करते हुए स्पष्ट किया है कि यह कोविड-19 जितना संक्रामक नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि HMPV की तुलना कोविड-19 से नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लक्षण भले ही समान हों, लेकिन यह बीमारी बिल्कुल अलग है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विशाल राव ने कहा कि HMPV छींकने या सांस लेने से नहीं बल्कि बूंदों के जरिए फैलता है और उन्होंने लोगों से घबराने की अपील नहीं की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि जिन लोगों ने फ्लू वैक्सीन और कोविड-19 वैक्सीन की तीनों खुराक ली हैं, उनमें दूसरों की तुलना में HMPV से लड़ने की संभावना अधिक है। उन्होंने संक्रमण को रोकने के लिए बुनियादी सावधानियों पर भी जोर दिया है।

एचएमपीवी पर डॉक्टरों की सलाह

फिलहाल ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। लेकिन अगर आपने फ्लू वैक्सीन और कोविड वैक्सीन की तीन खुराक ली हैं, तो आपके पास पहले से ही इम्युनिटी है। यह कोविड की तरह बात करने या सांस लेने से फैलने वाली बीमारी नहीं है। एचएमपीवी खांसी से होने वाला ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। इसलिए, सतर्क रहना जरूरी है।

दिल्ली के एम्स में इंटरनल मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने एएनआई से कहा कि इसकी (HMPV) तुलना कोविड-19 से न करें। क्योंकि कोविड बिल्कुल नया वायरस था और हममें से किसी के पास इससे लड़ने के लिए कोई खास योजना या इम्युनिटी नहीं थी। HMPV का भी पता साल 2001 में चला था। यह 1950 के दशक के आखिर से ही है। 10 साल की उम्र तक ज्यादातर बच्चों में इसके खिलाफ इम्युनिटी विकसित हो जाती है।

लोगों को इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक पुराना वायरस है, जो श्वसन संक्रमण का कारण बनता है और इसके मामले ज्यादातर हल्के होते हैं। इसके अलावा उन्होंने लोगों को सर्दी के लक्षणों के लिए सामान्य सावधानियां बरतने की भी सलाह दी। हर रोगाणु को ट्रैक करने के बजाय, हम सभी को सर्दी होने पर सामान्य सावधानियां बरतनी चाहिए। इसके लिए मास्क जरूर पहनें। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, बार-बार हाथ धोएं और गंभीर लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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