Punjab : Operation Sindoor के वक्त बच्चे के कारनामे ने जीता सबका दिल, आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों मिला सम्मान
फिरोजपुर के रहने वाले सरवन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान असाधारण साहस दिखाया और अब उन्हें राष्ट्रीय बाल वीरता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
पंजाब के फिरोजपुर निवासी 10 वर्षीय सरवन ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अद्भुत साहस और सेवा भावना का परिचय दिया। इसी बहादुरी के लिए उन्हें राष्ट्रीय वीर बाल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय वीर बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में यह पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरवन को प्रदान किया।
इस कार्यक्रम के दौरान सरवन समेत अन्य सम्मानित बच्चों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संवाद करने का अवसर भी मिलेगा। सरवन ने ऑपरेशन सिंदूर के समय फिरोजपुर क्षेत्र में कठिन और जोखिम भरे हालातों में लोगों के साथ-साथ भारतीय सेना के जवानों की मदद की थी।
“सम्मान पाकर बेहद खुशी हो रही है” - सरवन
पुरस्कार मिलने के बाद सरवन ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “जब पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ और सैनिक हमारे गांव आए, तो मेरे मन में आया कि मुझे उनकी मदद करनी चाहिए। मैं उनके लिए दूध, चाय, छाछ और बर्फ लेकर जाता था। यह पुरस्कार पाकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे ऐसा सम्मान मिलेगा।”
सेना पहले ही दे चुकी है विशेष सम्मान
सरवन की निस्वार्थ सेवा को देखते हुए भारतीय सेना पहले ही उन्हें सम्मानित कर चुकी है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाक सीमा पर तैनात जवानों तक पानी, दूध, लस्सी और भोजन पहुंचाने के लिए सेना ने सरवन को ‘सबसे युवा नागरिक योद्धा’ की उपाधि दी थी। इसके साथ ही सेना ने उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी ली है।
फिरोजपुर छावनी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने सरवन को सम्मानित किया था। सेना के अधिकारियों का कहना था कि सरवन की कहानी देश के उन गुमनाम नायकों की याद दिलाती है, जो देश के लिए सब कुछ समर्पित करने का जज्बा रखते हैं।
सेना में जाने का सपना
फिरोजपुर जिले के ममदोट क्षेत्र में रहने वाले सरवन का सपना है कि वह बड़ा होकर भारतीय सेना में शामिल हो और देश की सेवा करे। उसने पहले कहा था, “मैं फौजी बनकर अपने देश के लिए काम करना चाहता हूं।” वहीं उसके पिता का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से सेना के अधिकारी भी सरवन को बेहद स्नेह और सम्मान देने लगे हैं।
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