अरावली विवाद पर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, नए खनन पर केंद्र सरकार ने लगाई रोक

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अरावली क्षेत्र में किसी भी प्रकार के नए खनन पट्टे देने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। सरकार के इस फैसले को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।

Dec 25, 2025 - 08:14
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अरावली विवाद पर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, नए खनन पर केंद्र सरकार ने लगाई रोक

दिल्ली से गुजरात तक फैली देश की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक अरावली को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने अब तक का सबसे कड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अरावली क्षेत्र में किसी भी प्रकार के नए खनन पट्टे देने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। सरकार के इस फैसले को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।

नए खनन पर ‘नो एंट्री’

केंद्र सरकार ने हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली सरकार को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि अरावली पर्वतमाला के पूरे भूभाग में अब किसी भी तरह के नए खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी। वर्षों से अवैध और अनियंत्रित खनन के कारण अरावली के पहाड़ तेजी से खत्म हो रहे थे। सरकार का मानना है कि अगर अभी सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में यह पर्वतमाला पूरी तरह नष्ट हो सकती है।

सुरक्षित दायरे को और बढ़ाएगी सरकार

सरकार केवल मौजूदा प्रतिबंधों तक सीमित नहीं रहना चाहती। अरावली के संरक्षण के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। परिषद पूरे अरावली क्षेत्र का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय अध्ययन करेगी। इसके तहत उन नए इलाकों की पहचान की जाएगी, जिन्हें ‘खनन मुक्त क्षेत्र’ घोषित करने की आवश्यकता है। इस प्रक्रिया से अरावली के संरक्षित दायरे को और व्यापक बनाया जाएगा।

पुरानी खदानों पर भी सख्ती

जो खदानें पहले से संचालित हैं, उन्हें भी अब खुली छूट नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन कराया जाए। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर अतिरिक्त पाबंदियां लगेंगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर खनन गतिविधियों को पूरी तरह बंद भी किया जा सकता है।

मरुस्थलीकरण रोकने की अहम कोशिश

केंद्र सरकार का कहना है कि अरावली केवल पहाड़ों की श्रृंखला नहीं है, बल्कि उत्तर भारत का एक मजबूत प्राकृतिक सुरक्षा कवच है। यह थार के रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोकने में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही यह भूजल स्तर को बनाए रखने, बारिश के जल को संरक्षित करने और हजारों प्रजातियों की जैव विविधता को आश्रय देने का काम करता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक अरावली के कमजोर होने से दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के इलाकों में प्रदूषण, जल संकट और तापमान में बढ़ोतरी जैसी समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं। ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की दिशा में बेहद जरूरी कदम माना जा रहा है। कुल मिलाकर, अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए केंद्र सरकार का यह सख्त रुख आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने की एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।

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