मैं साध्वी नहीं हूं…महाकुंभ में वायरल हर्षा रिछारिया ने ऐसा क्यों कहा?
हर्षा ने उन सभी ट्रोल्स को जवाब देते हुए कहा कि वह साध्वी नहीं हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं किया है। इसलिए उन्हें साध्वी की उपाधि नहीं दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के बीच साध्वी हर्षा रिछारिया सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। उनकी खूब चर्चा हो रही है। हर्षा के वीडियो और फोटो शेयर किए जा रहे हैं। हालांकि, कुछ लोग उन्हें ट्रोल भी कर रहे हैं और उनकी आस्था पर सवाल उठा रहे हैं।
हर्षा ने उन सभी ट्रोल्स को जवाब देते हुए कहा कि वह साध्वी नहीं हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं किया है। इसलिए उन्हें साध्वी की उपाधि नहीं दी जाएगी। हर्षा ने कहा कि मैंने सिर्फ गुरु दीक्षा और मंत्र दीक्षा ली है। मैं अभी इसका पालन कर रही हूं। हर्षा का कहना है कि मैंने खुद को सनातन धर्म के लिए समर्पित कर दिया है।
जानिए हर्षा के बारे में
हर्षा उत्तराखंड की रहने वाली हैं। उन्होंने ग्लैमर की दुनिया को छोड़कर आध्यात्म को अपनाया। उन्हें स्वामी कैलाशानंद गिरि ने आध्यात्म की दीक्षा दी थी। हर्षा देश-विदेश में ग्लैमर की दुनिया का हिस्सा रही हैं।
हर्षा ने कहा, प्रोफेशनल लाइफ में दिखावे और आडंबर से भरी जिंदगी ने मुझे बोर कर दिया। मुझे एहसास हुआ कि असली सुख और शांति सिर्फ़ सनातन धर्म की शरण में ही है। स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा लेने के बाद मुझे जीवन का नया मतलब समझ में आया।
साध्वी कैसे बनती है?
साध्वी बनने के लिए किसी भी महिला को कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। दीक्षा लेने के लिए महिला को प्रतिज्ञा लेनी होती है। उसे नियमों का पालन करना होता है। एक बार साध्वी बनने के बाद उसे जीवन भर भगवा पहनना होता है। शराब और मांस से दूर रहना होता है।
आप सिर्फ़ सादा, उबला हुआ खाना ही खा सकती हैं। उसे साधना करनी होती है। साध्वी बनने से पहले महिला के घर और उसकी जन्म कुंडली की भी जांच की जाती है। महिला साधु को यह साबित करना होता है कि अब उसका अपने परिवार और समाज से कोई रिश्ता नहीं है।
यह है प्रक्रिया
गुरु की तलाश: साध्वी बनने के लिए सबसे पहले गुरु की तलाश करनी होती है। वह दीक्षा देते हैं और साध्वी बनने का रास्ता बताते हैं।
वैराग्य: आपको सांसारिक जीवन से मोह त्यागना होता है। आपको धार्मिक पुस्तकें पढ़नी होंगी और शास्त्रों के बारे में ज्ञान प्राप्त करना होगा।
गुरु सेवा: एक बार जब आपको गुरु मिल जाता है, तो आपको अपना जीवन उन्हें समर्पित करना होता है। आपको उनकी सेवा करनी होती है। आपको उनके आदेशों का पालन करना होता है। यह शुरुआती प्रक्रिया है। आगे बढ़ने पर यह और भी कठिन हो जाती है।
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