हरियाणा में अपनी विधानसभा का सपना होगा साकार ? तकनीकी अध्ययन के बाद खुलेगी विधानसभा की राह !

हरियाणा की अपनी अलग विधानसभा का मुद्दा अब हल होता नजर आ रहा है। हरियाणा की अलग विधानसभा को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की ओर से किए गए प्रयास सिरे चढ़ते नजर आ रहे हैं,

Nov 28, 2024 - 16:02
Nov 28, 2024 - 16:10
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हरियाणा में अपनी विधानसभा का सपना होगा साकार ? तकनीकी अध्ययन के बाद खुलेगी विधानसभा की राह !
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चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : पिछले करीब चार दशक से राजनीति की धुरी बना हरियाणा की अपनी अलग विधानसभा का मुद्दा अब हल होता नजर आ रहा है। हरियाणा की अलग विधानसभा को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की ओर से किए गए प्रयास सिरे चढ़ते नजर आ रहे हैं, लेकिन इसी बीच हरियाणा की ओर से चंडीगढ़ को दी जाने वाली जमीन में ग्रीन बेल्ट आने के संकेत मिल रहे हैं, जिसे लेकर तकनीकी और कानूनी अध्ययन के बाद ही अब मामले में पूरा खुलासा हो पाएगा। हालांकि हरियाणा की नई विधानसभा को लेकर पड़ोसी राज्य पंजाब की ओर से राजनीति भी शुरू कर दी गई है। इसी बीच हरियाणा की ओर से भी खुद की नई विधानसभा को लेकर कई तर्क दिए जा रहे हैं, जोकि यथासंगत भी हैं।

परिसीमन में राजनीतिक परिदृश्य में होगा बड़ा बदलाव

परिसीमन आयोग हर 10 साल में विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाता या घटाता है। पिछले 10 वर्षों के दौरान आयोग के पास ऐसे कई मामले और आवेदन पहुंचे हैं, जहां लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ आरक्षण को लेकर भी प्रस्ताव दिये गये हैं राज्य में विधानसभा की 36 और लोकसभा की 4 सीटों की संभावित बढ़ोतरी के साथ प्रदेश राजनीतिक रूप से और बड़े राज्य के रूप में उभरकर सामने आएगा। परिसीमन होने पर राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 3 सीटें आरक्षित की जा सकती हैं। वहीं, 126 विधानसभा सीटों में से 25 सीटें रिजर्व कैटेगरी में रखी जा सकती हैं। फिलहाल, राज्य में 10 लोकसभा सीटों में से 2 सीटें अंबाला और सिरसा आरक्षित हैं। जबकि, 90 विधानसभा सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

कईं सीटों पर होगा बदलाव

वहीं होने वाले परिसीमन को देखते हुए भाजपा ने अभी से जमीनी स्तर पर कार्य शुरू कर दिया है। भाजपा गांव दर गांव सर्वे कराने में जुटी है। इससे पहले हरियाणा में 2007-2008 में परिसीमन हुआ था। उस समय राज्य में कांग्रेस की हुड्डा सरकार थी। इस दौरान कई विधानसभा को तोड़कर नया बनाया गया था। खासकर सिरसा, हिसार और अहीरवाल क्षेत्र में कई जगह परिसीमन से बदलाव हुए थे। अब भाजपा भी अपने हिसाब से सीटों में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। भाजपा का मुख्य फोकस उन क्षेत्रों पर है जहां उन्हें एक भी सीट नहीं मिली। इसलिए रोहतक, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और मेवात के एरिया में परिसीमन कर बदलाव किया जा सकता है।
हुड्डा की सीट हो सकती है रिजर्व !
हुड्डा की विधानसभा सीट गढ़ी सांपला किलोई को रिजर्व किया जा सकता है। कलानौर को जरनल सीट में बदला जा सकता है। मौजूदा समय में प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में से 2 सीटें अंबाला और सिरसा आरक्षित हैं। जबकि, 90 विधानसभा सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। परिसीमन के बाद राज्य में 14 लोकसभा सीटों में से 3 आरक्षित हो सकती हैं। जबकि, 126 विधानसभा में से 25 सीटें रिजर्व कैटेगरी में रखी जा सकती हैं।

ज्ञानचंद गुप्ता ने लिखा था पत्र

साल 2021 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने ज्ञानचंद गुप्ता ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस बारे में अवगत करवाया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था की परिसीमन के बाद विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी होने पर मौजूद विधानसभा में उनके बैठने की व्यवस्था नहीं हो पाएंगी। इसलिए हरियाणा विधानसभा का नया भवन बनाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने की मांग पत्र के माध्यम से की गई थी। अब हरियाणा विधानसभा के नए भवन के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। जल्द ही नए भवन के निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

हरविंद्र कल्याण ने भी शुरू की कोशिश

हरियाणा विधानसभा का अध्यक्ष बनने के बाद हरविंद्र कल्याण की ओर से भी इसे लेकर अपनी कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। कल्याण का भी मानना हैं कि नए परिसीमन में विधायकों की संख्या बढ़ने के कारण उनके बैठने को लेकर दिक्कत आ सकती है। इसलिए 2029 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा के पास अपना आधुनिक विधानसभा भवन होना चाहिए, जिससे विधानसभा के विधायी कार्य सुचारू रूप से चल सके।

दशकों से हो रही है राजनीति

हरियाणा की अलग विधानसभा का मुद्दा कोई नया नहीं है। फिर चाहे चौधरी देवीलाल, बीरेंद्र सिंह, भजनलाल, बंसीलाल या फिर ओम प्रकाश चौटाला हो हर कोई इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाता रहा है। इसी मुद्दे के दम पर और एसवाईएल के पानी को लेकर प्रदेश में अनेक राजनेता अपनी सरकार बनाने में कामयाब भी रहे हैं। मौजूदा भाजपा सरकार भी अन्य मुद्दों के साथ कहीं ना कहीं इस मुद्दे को लेकर भी चर्चा में रही है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि आगामी दिनों में कब तक हरियाणा की ओर से चंडीगढ़ को दी जाने वाली जमीन के तकनीकी और कानूनी पहलू साफ हो पाते हैं ?

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