पंजाब को केंद्र का बड़ा गिफ्ट, 95 साल पुराना अधूरा प्रोजेक्ट अब होगा पूरा

ब्रिटिश शासनकाल में शुरू हुआ कादियां-ब्यास रेल लाइन प्रोजेक्ट अब फिर से शुरू किया जाएगा। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने संबंधित अधिकारियों को इस 40 किलोमीटर लंबे रेल प्रोजेक्ट को "डीफ्रीज" कर तुरंत कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं।

Dec 6, 2025 - 14:04
Dec 6, 2025 - 14:05
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पंजाब को केंद्र का बड़ा गिफ्ट, 95 साल पुराना अधूरा प्रोजेक्ट अब होगा पूरा

केंद्र सरकार ने पंजाब में लंबित पड़े एक ऐतिहासिक रेल प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करने का बड़ा फैसला लिया है। ब्रिटिश शासनकाल में शुरू हुआ कादियां-ब्यास रेल लाइन प्रोजेक्ट अब फिर से शुरू किया जाएगा। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने संबंधित अधिकारियों को इस 40 किलोमीटर लंबे रेल प्रोजेक्ट को "डीफ्रीज" कर तुरंत कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं।

कई दशकों से अटके प्रोजेक्ट को मिली नई जान

यह प्रोजेक्ट पहले कई बार शुरू होकर रुक चुका था, लेकिन अब केंद्र ने इसे प्राथमिकता सूची में डालते हुए आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। मंत्री बिट्टू ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पंजाब के रेल प्रोजेक्ट्स के लिए फंड की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

उन्होंने अधिकारियों को सभी अड़चनों को दूर कर जल्द से जल्द कंस्ट्रक्शन कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। नॉर्दर्न रेलवे के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (कंस्ट्रक्शन) की ओर से पत्र जारी कर बताया गया है कि रेलवे बोर्ड इसे डीफ्रीज करेगा, अनुमानित लागत को तुरंत मंजूरी मिलेगी और निर्माण कार्य गति पकड़ लेगा।

बटाला की इंडस्ट्री को मिलेगी बड़ी राहत

नई रेल लाइन को इलाके के उद्योगों के लिए गेम-चेंजर माना जा रहा है। "स्टील सिटी" के नाम से मशहूर बटाला में बड़ी संख्या में इंडस्ट्रियल यूनिट्स आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही हैं। रेल कनेक्टिविटी बढ़ने से न सिर्फ इन इकाइयों को परिवहन सुविधा मिलेगी, बल्कि व्यापार और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

ब्रिटिश काल से लंबित है प्रोजेक्ट

केंद्रीय मंत्री बिट्टू ने जानकारी दी कि इस रेल लाइन की शुरुआत सबसे पहले 1929 में ब्रिटिश सरकार ने मंजूर की थी। तब नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे ने इस पर काम शुरू किया और 1932 तक करीब एक-तिहाई निर्माण भी पूरा कर लिया गया था। लेकिन अचानक काम रोक दिया गया। इसके बाद 2010 के रेल बजट में परियोजना को फिर से शामिल किया गया, मगर प्लानिंग कमीशन की वित्तीय आपत्तियों के चलते यह फिर ठंडे बस्ते में चली गई।

अब केंद्र सरकार के नए फैसले के बाद लगभग 95 साल पुराने इस प्रोजेक्ट को आखिरकार नई दिशा और गति मिलने वाली है। पंजाब के लिए यह कदम न सिर्फ विकास का संकेत है बल्कि दशकों पुरानी मांगों को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम भी माना जा रहा है।

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