दिल्ली में रविवार को होने वाली मैराथन के लिए यातायात परामर्श जारी

दिल्ली यातायात पुलिस ने यहां रविवार को जवाहर लाल नेहरू (जेएलएन) स्टेडियम में आयोजित होने वाली मैराथन को लेकर एक परामर्श जारी किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

पुलिस के मुताबिक रविवार को जेएलएन स्टेडियम में ‘रन फॉर गुड हैपनिंग’ मैराथन का आयोजन किया जाएगा। मैराथन में दिल्ली के सभी हिस्सों से लगभग 2,000 लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।

दिल्ली की यातायात पुलिस की ओर से जारी परामर्श के मुताबिक रविवार को सुबह छह बजे से 8.30 बजे तक भीष्म पितामह मार्ग, कोटला रेड लाइट, लोधी रोड, जोर बाग रोड, दयाल सिंह/सीजीओ रोड आदि पर आवश्यकता के अनुसार यातायात को विनियमित/परिवर्तित किया जाएगा।

इसमें कहा गया है कि यात्रियों से सहयोग करने और सार्वजनिक परिवहन, विशेषकर मेट्रो सेवाओं का अधिकतम उपयोग करने का अनुरोध किया जाता है।

परामर्श में कहा गया है कि अंतरराज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी), रेलवे स्टेशन और हवाईअड्डे की ओर जाने वाले यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे पर्याप्त समय के साथ सावधानीपूर्वक अपनी यात्रा की योजना बनाएं।

पराली संकटः दिल्ली सरकार ने धान के खेतों में ‘बायो-डीकंपोजर’ के छिड़काव का अभियान शुरू किया

राष्ट्रीय राजधानी में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने धान के खेतों में जैव अपघटक (बायो-डीकंपोजर) के छिड़काव को लेकर शुक्रवार को एक अभियान शुरू किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए दिल्ली सरकार राजधानी में 2020 से पूसा जैव अपघटक का इस्तेमाल कर रही है। यह जैव अपघटक एक माइक्रोबियल द्रव्य है, जो धान के अवशेषों को 15-20 दिनों में विघटित कर देता है।

अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी के पीछे पराली जलाने के लिए खेतों में लगाई गई आग एक प्रमुख कारण होता है।

राय ने कहा कि सरकार ने पिछले साल 4,400 एकड़ धान के खेतों में जैव अपघटक का छिड़काव किया था और इस सीजन में 5,000 एकड़ भूमि को कवर किया जाएगा।

मंत्री ने कहा कि पंजाब में पराली बड़े पैमाने पर जलाई जाती है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि कृषि प्रधान राज्य में आप सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खेतों में आग लगाने की घटनाओं में कमी आएगी।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में खेतों में जलाई गई पराली की अधिकतम हिस्सेदारी पिछले साल तीन नवंबर को 34 प्रतिशत और सात नवंबर 2021 को 48 प्रतिशत थी।