दिल्ली में रविवार को होने वाली मैराथन के लिए यातायात परामर्श जारी

दिल्ली यातायात पुलिस ने यहां रविवार को जवाहर लाल नेहरू (जेएलएन) स्टेडियम में आयोजित होने वाली मैराथन को लेकर एक परामर्श जारी किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

पुलिस के मुताबिक रविवार को जेएलएन स्टेडियम में ‘रन फॉर गुड हैपनिंग’ मैराथन का आयोजन किया जाएगा। मैराथन में दिल्ली के सभी हिस्सों से लगभग 2,000 लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।

दिल्ली की यातायात पुलिस की ओर से जारी परामर्श के मुताबिक रविवार को सुबह छह बजे से 8.30 बजे तक भीष्म पितामह मार्ग, कोटला रेड लाइट, लोधी रोड, जोर बाग रोड, दयाल सिंह/सीजीओ रोड आदि पर आवश्यकता के अनुसार यातायात को विनियमित/परिवर्तित किया जाएगा।

इसमें कहा गया है कि यात्रियों से सहयोग करने और सार्वजनिक परिवहन, विशेषकर मेट्रो सेवाओं का अधिकतम उपयोग करने का अनुरोध किया जाता है।

परामर्श में कहा गया है कि अंतरराज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी), रेलवे स्टेशन और हवाईअड्डे की ओर जाने वाले यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे पर्याप्त समय के साथ सावधानीपूर्वक अपनी यात्रा की योजना बनाएं।

राजधानी में यातायात अव्यवस्था, दिल्ली में रोजाना लगभग 80 पुरानी बसें होती हैं खराब : यातायात पुलिस

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर यह एक बेहद सामान्य दृश्य है : दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की एक जर्जर बस राजधानी में बने कई फ्लाईओवर में से एक पर चढ़ने के लिए संघर्ष करती दिखाई देती है। फ्लाईओवर के ऊपर पहुंचने से पहले, बस आखिरी बार पूरी ताकत लगाती है और फिर रुक जाती है।

रुकी हुई बस के कारण सड़क की एक लेन – कभी-कभी डेढ़ लेन – अवरुद्ध हो जाती है और यातायात जाम हो जाता है। इस समस्या का लोगों को दिल्ली में लगभग प्रतिदिन सामना करना पड़ता है।

‘पीटीआई-भाषा’ को दिल्ली की यातायात पुलिस से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली में हर दिन डीटीसी या क्लस्टर सेवा की औसतन 79 बस खराब हुईं तथा इस समस्या का समाधान करने में करीब 40 मिनट का समय भी लगा।

इंद्रप्रस्थ एक्सटेंशन में रहने वाले राजेश विश्वकर्मा रोजाना कनॉट प्लेस स्थित अपने कार्यालय आते-जाते हैं। इस स्थिति से तंग आकर वह कहते हैं कि वह अक्सर विकास मार्ग पर बसों में खराबी का सामना करते हैं, जो यमुना ब्रिज से होते हुए आईटीओ तक जाती हैं।

राजेश विश्वकर्मा ने कहा, ‘‘स्थिति तब और बदतर हो जाती है जब सुबह या शाम के व्यस्त समय में कोई बस खराब हो जाती है। ’’

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सीएनजी से चलने वाली इन बस की समय-सीमा समाप्त होने वाली है और इन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा तथा जल्द ही इनकी जगह नयी इलेक्ट्रिक बस के बेड़ों को सड़कों पर उतारा जाएगा, जिससे उम्मीद है कि शहर में यातायात जाम कम हो जाएगा।

बीच रास्ते में बस खराब होने की समस्या से दिल्ली की यातायात पुलिस के अधिकारी भी खासे परेशान हैं, जो नियमित रूप से बस के खराब होने के कारण प्रभावित यातायात के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं।

इस समस्या से परेशान अमिति दवे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर दिल्ली की यातायात पुलिस के एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा कि हाल ही में आईआईटी और नयी दिल्ली के बीच बाहरी रिंग रोड पर एक बस रुकने के बाद वह डेढ़ घंटे तक आईआईटी फ्लाईओवर के पास यातायात जाम में फंसी रहीं।

बस के बीच सड़क पर खराब होने के कारण लोगों को कई घंटों तक असुविधा होती है, क्योंकि राजधानी में अधिकांश फ्लाईओवर और सड़कें दो लेन की हैं। एक लेन अवरुद्ध होने से, हॉर्न बजाने वाली कारों, टेम्पो, ऑटोरिक्शा, मोटरसाइकिलों और अन्य सभी प्रकार के वाहनों की कतार से सड़क अवरुद्ध हो जाती है। इस परेशानी से अधीर होकर कई वाहन चालक एक-दूसरे का रास्ता काटकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, जिससे जाम की स्थिति और भी बुरी हो जाती है।

अक्सर बस चलते समय खराब हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप यातायात लगभग पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है और अधिक अव्यवस्था होती है।

पुलिस उपायुक्त (यातायात) एस के सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि किसी बस के खराब होने के दौरान पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसके कारण लगने वाला भारी यातायात जाम है।

पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘ चूंकि, इन बस को क्रेन से नहीं खींचा जा सकता, इसलिए हमें परिवहन विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई ब्रेकडाउन वैन पर निर्भर रहना पड़ता है। उसी मार्ग पर यातायात जाम के कारण इन वैन को घटनास्थल तक पहुंचने में भी चुनौती का सामना करना पड़ता है।’’

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि जब कोई बस खराब हो जाती है, तो उसे तुरंत हटाया नहीं जा सकता या किनारे पर नहीं लगाया जा सकता, जब तक कि मैकेनिक उपलब्ध न हों। अधिकारी बस के बार-बार खराब होने के लिए उनकी समय-सीमा को जिम्मेदार मानते हैं।

दिल्ली परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ये बसें 10 से 12 साल पुरानी हैं। मानवीय दृष्टि से, वे अपनी सेवानिवृत्ति से काफी आगे निकल चुकी हैं। ये युद्ध के हमारे बूढ़े हो चुके घोड़े हैं जिन्होंने टूट-फूट से संघर्ष किया है। वे अक्सर अपनी क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर यात्रा करती हैं।’’

दिल्ली परिवहन निगम के पास 7,582 बस का बेड़ा है। इनमें से 2,644 बस को 2007 और 2010 के बीच राज्य के स्वामित्व वाले सार्वजनिक ट्रांसपोर्टर द्वारा खरीदा गया था।

डीटीसी और क्लस्टर बसों में हर दिन 41 लाख से अधिक लोग यात्रा करते हैं, जिससे वे एनसीआर के कई निवासियों के लिए आवागमन का सबसे महत्वपूर्ण साधन बन जाती हैं।

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार उन बसों को चरणबद्ध तरीके से हटा रही है और अगले साल तक 80 प्रतिशत बस इलेक्ट्रिक होंगी।

कैलाश गहलोत ने कहा, ‘‘ डीटीसी बसों का बेड़ा पुराना है और हम इलेक्ट्रिक बसें शुरू करके पुरानी बसों को हटाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमने अब तक 1650 इलेक्ट्रिक बस को बेड़े में शामिल किया है,और अगले साल तक 80 प्रतिशत बस इलेक्ट्रिक होंगी। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हम परिवहन में स्थिरता की ओर बढ़ रहे हैं। मैंने बार-बार डीटीसी को बस खराब होने से संबंधित शिकायतों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर हल करने के निर्देश जारी किए हैं। ’’