20 साल बाद पूरा होने जा रहा किरण चौधरी का राज्यसभा में जाने का ख्वाब, निर्विरोध चुना जाना तय

Aug 22, 2024 - 08:22
Aug 22, 2024 - 08:23
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20 साल बाद पूरा होने जा रहा किरण चौधरी का राज्यसभा में जाने का ख्वाब, निर्विरोध चुना जाना तय
20 साल बाद पूरा होने जा रहा किरण चौधरी का राज्यसभा में जाने का ख्वाब, निर्विरोध चुना जाना तय

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

20 साल पहले राज्यसभा जाने में पिछड़ी किरण चौधरी के लिए इस बार राज्यसभा जाने का मार्ग पूरी तरह से साफ है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने के साथ ही राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा और लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह को जिताने का पुरस्कार भारतीय जनता पार्टी की ओर से किरण चौधरी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर दिया गया है। कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद हरियाणा में खाली हुई राज्यसभा की एक सीट पर किरण चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। विपक्ष की ओर से पर्याप्त संख्या बल नहीं होने का हवाला देते हुए मुकाबले में किसी भी प्रत्याशी को नहीं उतारने का ऐलान किया गया है। ऐसे में किरण चौधरी को 27 अगस्त को दोपहर 3 बजे के बाद निर्विरोध विजेता घोषित किया जा सकता है। 

किरण पर अभी भी दल बदल कानून का शिकंजा

भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद भी किरण चौधरी तोशाम से कांग्रेस की विधायक बनी हुई थी। हालांकि राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करने से एक दिन पहले 20 अगस्त को किरण ने अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत स्वीकार भी कर लिया था। किरण चौधरी के इस्तीफे के बाद 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में विधायकों की संख्या अब 86 रह गई है। इन सबके बीच कांग्रेस की ओर से उनके खिलाफ दायर की गई दल बदल की याचिका का शिकंजा अभी भी उन पर लगातार बरकरार है। 

20 साल ऐसे हुआ था ‘खेला’

20 वर्ष पूर्व जून 2004 में जब हरियाणा में ओम प्रकाश  चौटाला के नेतृत्व में इनेलो सरकार  सत्तासीन थी। उस समय प्रदेश में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव हुए थे। उनमे एक सीट पर कांग्रेस की ओर से किरण चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया था। उस समय किरण निर्वाचित होने से चूक गई। दअरसल, हुआ यूं कि राज्यसभा के लिए घोषित मतदान से तीन दिन पहले हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान ने किरण चौधरी का समर्थन कर रहे 6 विधायकों जगजीत सांगवान, करण सिंह दलाल, भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान को दल-बदल विरोधी कानून के तहत हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। किरण चौधरी की ओर से इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी, लेकिन उस पर भी विधानसभा अध्यक्ष की ओर से अयोग्य घोषित 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं मिला था, जिसके चलते इनेलो के समर्थन से आजाद प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव लड़ रहे सरदार त्रिलोचन सिंह चुनाव जीत गए और किरण चौधरी वह चुनाव हार गई। इसके अलावा दूसरी सीट से ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला विजेता हुए थे। 

दिल्ली से शुरू की राजनीति

किरण चौधरी ने दिल्ली से अपनी राजनीति की शुरूआत करते हुए 1993 में दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर दिल्ली कैंट से लड़ा। उस समय वह भाजपा के करण सिंह तंवर से हार गई थीं। 1998 में किरण उसी सीट से भाजपा के तंवर को पराजित कर पहली बार विधायक और फिर डिप्टी स्पीकर बनीं। हालांकि 2003 चुनाव में वह फिर भाजपा के तंवर से हार गईं। इसके बाद उन्होंने दिल्ली छोड़कर हरियाणा का रुख किया। पति सुरेंद्र सिंह के मार्च 2005 में हुए निधन के बाद तोशाम विधानसभा सीट से लगातार चार बार चुनाव जीतीं। भूपेंद्र हुड्डा की दोनों कांग्रेस सरकारों में पहले राज्यमंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री भी रहीं।

हरियाणा में राज्यसभा का चुनाव कार्यक्रम

हरियाणा से गत दो माह से रिक्त राज्यसभा की एक सीट के उपचुनाव के लिए भारतीय चुनाव आयोग की ओर से घोषित कार्यक्रम के अनुसार 21  अगस्त तक नामांकन भरने का अंतिम दिन था। अब 22 अगस्त को नामांकन पत्र की जांच होगी। 27 अगस्त नामांकन वापसी का अंतिम दिन होगा। 

अप्रैल 2026 तक होगा कार्यकाल

हरियाणा से राज्यसभा की उक्त  सीट के लिए निर्वाचित होने वाले  सांसद का कार्यकाल करीब डेढ़ वर्ष अर्थात अप्रैल 2026 तक ही होगा, क्योंकि रोहतक लोकसभा सीट से दो माह पूर्व निर्वाचित हुए लोकसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा, जिनके लोकसभा सांसद बनने से उपरोक्त राज्यसभा सीट रिक्त हुई है, उनका राज्यसभा कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक ही था। इसलिए उनकी शेष अवधि के लिए ही उक्त राज्यसभा उपचुनाव कराया जा रहा है। बता दें कि कांग्रेस की विधायक रहते हुए किरण चौधरी ने 18 जून को कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भी वह कांग्रेस विधायक रहते हुए 19 जून को दिल्ली में अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थी।

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