गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर जेल से रिहाई, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
गुरमीत राम रहीम एक बार फिर से जेल से बाहर आ गए हैं, इस रिहाई के बाद राम रहीम की उपस्थिति को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में काफी चर्चा हो रही है, खासकर हरियाणा और पंजाब में जहां उनका बहुत बड़ा प्रभाव है।

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर से जेल से बाहर आ गए हैं, इस बार वह सिरसा स्थित अपने डेरे में रहने के लिए पैरोल पर रिहा हुए हैं। 2017 में बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद यह उनकी चौथी अस्थायी रिहाई है। इस रिहाई के बाद राम रहीम की उपस्थिति को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में काफी चर्चा हो रही है, खासकर हरियाणा और पंजाब में जहां उनका बहुत बड़ा प्रभाव है।
पैरोल पर रिहाई और सुरक्षा इंतजामात
गुरमीत राम रहीम को मंगलवार सुबह 5:26 बजे गुपचुप तरीके से सुनारिया जेल से बाहर निकाला गया, जिसमें कड़ी सुरक्षा के इंतजाम थे। उनकी इस रिहाई के दौरान पूरे इलाके में पुलिस और सुरक्षा बल तैनात थे। यह पहली बार है जब राम रहीम को सिरसा स्थित डेरा जाने की अनुमति दी गई है, जबकि पहले वह बागपत स्थित अपने आश्रम में ही रहते थे। प्रशासन ने इस रिहाई को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी मीडिया में सार्वजनिक करने से बचते हुए इसे गोपनीय रखा।
राम रहीम का संदेश और अनुयायियों से अपील
जेल से बाहर आने के बाद गुरमीत राम रहीम ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक संदेश जारी किया और अपने अनुयायियों से अपील की कि वे सिरसा न आएं। उन्होंने यह भी कहा कि वह सिरसा के डेरे में रहेंगे और अनुयायी केवल डेरे के सेवादारों की सलाह के अनुसार ही उनका पालन करें।
पिछली रिहाई और चुनावों का कनेक्शन
राम रहीम की रिहाई के समय को लेकर अक्सर आरोप लगाए जाते हैं कि उनका जेल से बाहर आना चुनावों के समय होता है। पिछले चार सालों में राम रहीम को चुनावी मौसम में पैरोल और फरलो मिलने की एक लंबी सूची रही है। चाहे वह 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव हों, हरियाणा नगर निगम चुनाव हों या 2019 के लोकसभा चुनाव, हर बार राम रहीम की रिहाई चुनावों के ठीक पहले हुई है। यह तात्कालिक रिहाई को राजनीतिक कारणों से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि उनके अनुयायी अक्सर क्षेत्रीय चुनावों में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं।
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