पिता को कांग्रेस से मिला टिकट तो बेटी ने की बगावत, डंके की चोट पर भरा निर्दलीय पर्चा

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने नोमिनेशन कर दिया है। इस बार सबकी नजरें अंबाला जिले पर टिकी हैं। क्योंकि यहां से कांग्रेस ने शहर की अंबाला सिटी से पार्टी नेता निर्मल सिंह को कैंडिडेट बनाया है, लेकिन बेटी चित्रा सरवारा को अंबाला कैंट से टिकट नहीं दिया, फिर क्या था वॉलीबॉल खिलाड़ी रही चित्रा ने निर्दलीय पर्चा भर दिया।

Sep 14, 2024 - 09:19
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पिता को कांग्रेस से मिला टिकट तो बेटी ने की बगावत, डंके की चोट पर भरा निर्दलीय पर्चा
पिता को कांग्रेस से मिला टिकट तो बेटी ने की बगावत, डंके की चोट पर भरा निर्दलीय पर्चा

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने नोमिनेशन कर दिया है। इस बार सबकी नजरें अंबाला जिले पर टिकी हैं। क्योंकि यहां से कांग्रेस ने शहर की अंबाला सिटी से पार्टी नेता निर्मल सिंह को कैंडिडेट बनाया है, लेकिन बेटी चित्रा सरवारा को अंबाला कैंट से टिकट नहीं दिया, फिर क्या था वॉलीबॉल खिलाड़ी रही चित्रा ने निर्दलीय पर्चा भर दिया। सभी 90 सीटों के मुकाबलों की तस्वीर स्पष्ट हो चुकी है। इस चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जहां सियासी लड़ाई परिवार के सदस्यों के बीच है। 

हरियाणा विधानसभा चुनावों के नामांकन के अंतिम दिन अंबाला में अलग ही राजनीतिक परिदृश्य देखने को मिला। पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी चित्रा अंबाला छावनी विधानसभा से कांग्रेस की टिकट मांग रही थी। लेकिन टिकट नहीं मिलने के बाद अब वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जमीनी स्तर पर उतर गई है। एक ही शहर में पिता-पुत्री प्रत्याशी बन गए हैं। इसको लेकर राजनीति गरमा गई है। तो वहीं इस पर उनके पिता निर्मल सिंह ने पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि उनकी बेटी शादीशुदा है। यह उसका खुद का फैसला है। हालांकि, नॉमिनेशन को लेकर अभी चित्रा का कोई बयान सामने नहीं है। न ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ने की बात कही।

बता दें कि निर्मल सिंह चार बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं। निर्मल सिंह को अंबाला जिले में ‘प्रधानजी’ के नाम से बुलाया जाता है। निर्मल सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं, इसलिए उनके दिल्ली में बैठे कांग्रेस के आला नेताओं के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी अच्छे संबंध हैं। इन्हीं संबंधों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी। चित्रा सरवारा की बात करें, तो वे एक तेज-तर्रार नेत्री के तौर पर उनकी हरियाणा में पहचान हैं। वे कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय मीडिया कॉर्डिनेटर का पद भी संभाल चुकी हैं। 

2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा कांग्रेस टिकट के दावेदार थे, लेकिन तब भी पार्टी ने दोनों को टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद दोनों ने कांग्रेस को छोड़कर हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम से अपनी पार्टी बना ली थी और विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। हालांकि दोनों को तब जीत हासिल नहीं हो पाई थी। इसके बाद दोनों आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दोनों को पार्टी जॉइन करवाई थी। लेकिन दिसंबर 2023 में दोनों ने आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 

बता दें कि चित्रा सरवारा अंबाला कैंट यानी अंबाला छावनी सीट पर बीजेपी नेता अनिल विज को टक्कर देना चाहती थी। इसके लिए वह काफी समय से तैयारी कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने चित्रा सरवारा की जगह पर परिमल परी को प्रत्याशी बनाया है। 2019 में भी चित्रा सरवारा निर्दलीय लड़ी थी। तब वह दूसरे नंबर पर रही थीं। उन्हें 44 हजार वोट मिले थे। बीजेपी के दिग्गज नेता अनिल विज 20 हजार वोटों से जीते थे। कांग्रेस की कैंडिडेट को सिर्फ 8,538 वोट मिले थे। इससे पहले के चुनाव में उनके पिता ने अनिल विज को चुनौती दी थी। अनिल विल 2009 से लगातार जीत रहे हैं। वह अभी तक अंबाला कैंट से 6 बार जीत चुके हैं। बीजेपी में वह हार गए थे। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या निर्मल सिंह चुनाव में बाजी मारेंगे या फिर बेटी चित्रा निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल कर पाएंगी। 

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