दिवाली के बाद गैस चैंबर बनी दिल्ली, (AQI) पहुंचा 700 के पार !

हर साल की तरह इस साल भी दिवाली के बाद दिल्ली की हवा में जहरीले प्रदूषकों का स्तर बढ़ गया। दिवाली की रात बड़ी मात्रा में की गई आतिशबाजी के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दिवाली के बाद 400 तक पहुंच गया है.

Nov 1, 2024 - 06:42
Nov 1, 2024 - 06:58
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दिवाली के बाद गैस चैंबर बनी दिल्ली, (AQI) पहुंचा 700 के पार !
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हर साल की तरह इस साल भी दिवाली के बाद दिल्ली की हवा में जहरीले प्रदूषकों का स्तर बढ़ गया। दिवाली की रात बड़ी मात्रा में की गई आतिशबाजी के कारण हवा में धुआं और हानिकारक कणों का स्तर चिंताजनक हो गया। दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दिवाली के बाद 400 के आस पास देखा गया, वहीं आनंद विहार में रिकॉर्ड तोड़ AQI 700 के पार देखा गया.  जो खतरनाक माना जाता है। इस जहरीले स्मॉग ने दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे सांस संबंधी समस्याएं बढ़ीं।

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है, जो दिल्ली के घने ट्रैफिक में लगातार बढ़ रहा है। इसके अलावा, निर्माण कार्य और औद्योगिक प्रदूषण भी वायु गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। पराली जलाना भी प्रदूषण में योगदान देता है। दिवाली पर आतिशबाजी के कारण इन प्रदूषकों में अचानक वृद्धि होती है, जो स्थिति को और गंभीर बना देती है।

दिवाली के बाद स्मॉग की परत 

दिवाली के बाद दिल्ली के आसमान में स्मॉग की परत देखी गई, जो कई दिनों तक बनी रही। इस धुंध में जहरीले कण, जैसे कि पीएम 2.5 और पीएम 10, हवा में घुल गए, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं होने लगीं। प्रदूषण के इस स्तर ने बच्चों और बुजुर्गों पर अधिक असर डाला, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास

दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए कई उपाय अपनाए हैं। सड़कों पर पानी का छिड़काव, पराली जलाने की रोकथाम, वाहनों के लिए उत्सर्जन मानकों का पालन और निर्माण कार्यों पर नजर रखने जैसे कदम उठाए जाते हैं। सरकार ने समय-समय पर स्मॉग टावर लगाने और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने जैसे प्रयास भी किए हैं। हालांकि, प्रदूषण नियंत्रण में समाज की भागीदारी भी आवश्यक है।

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