Panjab University में आखिर क्यों हुआ हंगामा? कैंपस बंद और परीक्षाएं रद्द...
पंजाब यूनिवर्सिटी को आज, 26 नवंबर को बंद करने का आदेश दिया गया है। स्टूडेंट्स के टोटल शटडाउन के आह्वान के बाद, यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने बुधवार को छुट्टी घोषित कर दी।
सीनेट चुनाव की तारीखों की घोषणा की मांग कर रहे प्रोटेस्ट कर रहे स्टूडेंट्स ने 26 नवंबर को पंजाब यूनिवर्सिटी को पूरी तरह बंद करने का ऐलान किया था। इसके जवाब में, यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने बुधवार को छुट्टी घोषित कर दी और उस दिन होने वाली सभी परीक्षाएं टाल दीं। एडमिनिस्ट्रेशन ने साफ किया कि नई परीक्षा की तारीखें जल्द ही घोषित की जाएंगी। यह बंद "सेव PU मोर्चा" ने बुलाया था, और इससे कैंपस में तनाव पैदा होने की उम्मीद है। स्टूडेंट और किसान रैली को देखते हुए, चंडीगढ़ पुलिस ने रैली वाली जगह के आसपास की सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था में भी बदलाव किया है।
कैंपस में बढ़ता प्रोटेस्ट
पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट स्ट्रक्चर में केंद्र सरकार के प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ पिछले हफ्ते से कैंपस में प्रोटेस्ट बढ़ रहा है। 10 नवंबर को, स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन के बुलावे पर, किसान ऑर्गनाइजेशन भी स्टूडेंट्स का समर्थन करने के लिए यूनिवर्सिटी पहुंचे। पंजाब यूनिवर्सिटी देश की अकेली ऐसी यूनिवर्सिटी है जो 1904 के यूनिवर्सिटी एक्ट से चलती है—जहां सभी ज़रूरी फैसले सीनेट और सिंडिकेट लेते हैं।
पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोटेस्ट का क्या है कारण ?
केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी के सीनेट और सिंडिकेट के स्ट्रक्चर में बदलाव का प्रस्ताव दिया था, जिसमें कई पोस्ट के लिए चुने हुए मेंबर की जगह सरकार के नॉमिनेटेड रिप्रेजेंटेटिव को रखा गया था, जिसे स्टूडेंट्स, टीचर और ऑर्गनाइज़ेशन ने इसे यूनिवर्सिटी की ऑटोनॉमी और डेमोक्रेटिक सिस्टम पर सीधा हमला माना।
जैसे-जैसे प्रोटेस्ट तेज़ हुए, सरकार ने नोटिफिकेशन वापस ले लिया, लेकिन सीनेट इलेक्शन की तारीख अभी तक अनाउंस नहीं की गई है, जिससे गुस्सा बढ़ रहा है। स्टूडेंट्स, किसान और कई सोशल ऑर्गनाइज़ेशन तुरंत इलेक्शन कराने पर अड़े हैं। इससे प्रोटेस्ट और बढ़ रहे हैं जो हिंसक हो रहे हैं और पुलिस के साथ टेंशन बढ़ रही है।
छात्रों की यूनिवर्सिटी के साथ क्यों नहीं बन पा रही सहमति ?
28 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय सरकार की ओर से नोटिस जारी किया गया था जिसमें सीनेट और सिंडिकेट को भंग कर दिया गया था। इसको लेकर छात्रों ने विरोध जताया था और सरकार से चुनाव की तारीखों की मांग थी। इसके बाद सरकार ने अपना नोटिस तो वापस ले लिया था, लेकिन सीनेट चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया।
इसी को देखते हुए छात्रों में फिर आक्रोश उत्पन्न हो गया और उन्होंने संगठन बनाकर १० नवंबर की तारीख को एक बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। लेकिन अभी तक छात्रों की सीनेट चुनाव को लेकर सरकार की ओर से अभी तक कोई भी जवाब सामने नहीं आया है इसीलिए छात्र 10 नवंबर की तारीख से आज अपनी मांग को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन करने में जुटे हैं । और इसमें दूसरी यूनिवर्सिटी के छात्रों को भी शामिल किया गया है।
बड़े पैमाने पर क्यों हो रहा है प्रदर्शन?
यह आंदोलन इसलिए बड़े पैमाने पर फैल गया है क्योंकि छात्रों का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा सीनेट और सिंडिकेट की संरचना बदलने का प्रस्ताव विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर कर सकता है। आपको बता दें कि छात्रों का ये आंदोलन इतना व्यापक हो गया है जिसमें अन्य यूनिवर्सिटी के छात्रों को भी शामिल कर लिया गया है।
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क्या है आगामी रणनीति ?
इस मामले को लेकर अगर आगे की रणनीति की बात की जाए तो छात्रों का कहना है कि बीजेपी के कार्यालयों की घेराबंदी की जाएगी। हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से पूरे इलाके को पुलिस की निगरानी में रखा गया है लेकिन यूनिवर्सिटी अंदर आवाजाही अभी भी देखी जा सकती है।
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