संविधान दिवस पर संसद में भव्य समारोह, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी अध्यक्षता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उप राष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री, सांसद और कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।
26 नवंबर को देशभर में संविधान दिवस मनाया जाता है और इस अवसर पर बुधवार को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष (सेंट्रल हॉल) में एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु करेंगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उप राष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री, सांसद और कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।
यह आयोजन न केवल भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का स्मरण है, बल्कि संविधान की समावेशी भावना को आगे ले जाने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है।
राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष करेंगे संबोधित
संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपति के संबोधन से होगी। इसके बाद:
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
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उप राष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन
भी सभा को संबोधित करेंगे। उनके भाषण संविधान की मूल भावना, उसके विकास, लोकतंत्र को मजबूत करने में उसकी भूमिका और नागरिकों के कर्तव्य एवं अधिकारों पर केंद्रित रहने की उम्मीद है।
क्यों मनाया जाता है यह दिवस
संविधान दिवस भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण चिन्ह है।
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26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत का संविधान अपनाया था।
- इसके कुछ प्रावधान उसी दिन लागू किए गए थे, जबकि अधिकांश प्रावधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुए, जब भारत एक गणराज्य बना।
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इसी ऐतिहासिक क्षण के सम्मान में वर्ष 2015 से सरकार ने संविधान दिवस मनाना शुरू किया, जिसे ‘राष्ट्रीय विधि दिवस’ भी कहा जाता है।
संविधान दिवस का उद्देश्य नागरिकों में संविधान के प्रति जागरूकता और संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण की भावना को बढ़ावा देना है।
नौ भारतीय भाषाओं में संविधान का डिजिटल लोकार्पण
कार्यक्रम की सबसे खास उपलब्धियों में से एक है नौ भारतीय भाषाओं में तैयार संविधान का लोकार्पण, जिसे राष्ट्रपति द्वारा डिजिटल रूप से लॉन्च किया जाएगा।
केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने संविधान के जिन भाषाई संस्करणों को तैयार कराया है, उनमें शामिल हैं:
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मलयालम
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मराठी
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नेपाली
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पंजाबी
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बोड़ो
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कश्मीरी
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तेलुगु
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उड़िया
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असमिया
यह कदम संविधान की पहुंच और समझ को देश के हर नागरिक तक पहुँचाने में एक बड़ा प्रयास है। भाषाई विविधता को सम्मान देते हुए संविधान को इन भाषाओं में उपलब्ध कराना भारतीय लोकतंत्र की समावेशी प्रकृति का प्रमाण है।
प्रस्तावना का सामूहिक पाठ: एकता का संदेश
कार्यक्रम में मौजूद सभी गणमान्य व्यक्ति, राष्ट्रपति के नेतृत्व में संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ करेंगे। प्रस्तावना का पाठ भारतीय लोकतंत्र के मूल मूल्यों-न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता- की पुनर्पुष्टि का प्रतीक माना जाता है।
यह परंपरा नागरिकों को याद दिलाती है कि भारत का संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि राष्ट्र की सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।
देशभर में भी होंगे आयोजन
संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार केवल संसद ही नहीं, बल्कि देश भर में व्यापक स्तर पर आयोजनों की योजना है:
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सभी केंद्रीय मंत्रालय और उनके अधीनस्थ कार्यालय
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सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारें
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स्थानीय निकाय
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शैक्षणिक संस्थान, विश्वविद्यालय और सरकारी कार्यालय
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