ऐसे ही नहीं बना अनिल विज की लोकप्रियता का ग्राफ, दूसरे विधायक और मंत्रियों से अलग विज की छवि

Aug 7, 2024 - 11:38
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ऐसे ही नहीं बना अनिल विज की लोकप्रियता का ग्राफ, दूसरे विधायक और मंत्रियों से अलग विज की छवि
ऐसे ही नहीं बना अनिल विज की लोकप्रियता का ग्राफ, दूसरे विधायक और मंत्रियों से अलग विज की छवि

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज मंत्री पद पर नहीं होने के बावजूद लगातार अपने इलाके के कामों के लिए सचिवालय के चक्कर काट रहे हैं। एक आम नागरिक और विधायक होने के बावजूद जनता के दिल में विज की एक खास छवि है, जो उन्हें दूसरे मंत्री और विधायकों से अलग बनाती है। मंत्री ना रहते हुए भी अनिल विज लगातार अंबाला और अंबाला वासियों के विकास के लिए सचिवालय में मंत्रियों से मुलाकात के अलावा केंद्र सरकार से भी तालमेल बिठाए हुए हैं। फिर वह चाहे अंबाला रेज के पुलिस कर्मचारियों की प्रमोशन का मामला हो या फिर एयरपोर्ट बनाने का। हर मामले को लेकर विज ने गंभीरता से लिया और उसे पूरा करवाकर ही दम लिया।

सेना से लेनी पड़ी थी जमीन

अंबाला में बन रहे एयरपोर्ट का काम आज अंतिम चरण में है, लेकिन इसका निर्माण होना कोई आसान काम नहीं था। एयरपोर्ट के लिए चुनी गई जमीन में से विभाग के अधिकारियों ने हवाई जहाज के लैंड के लिए एक्वायर की गई जमीन को अनफिट बताते हुए नई जमीन तलाशने को कहा था। अचानक से जमीन अनफिट होने पर अनिल विज और प्रशासन ने नए स्थान की तलाश शुरू की। कई स्थानों की जमीन के सैंपल लिए गए। अंत में जिस जमीन को सही पाया गया, वह सेना के अधिकार की जमीन थी। अब सेना से जमीन लेना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन अनिल विज ने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया और लगातार दो साल तक जमीन की फाइल लेकर इधर से उधऱ भटकने के बाद सेना के कब्जे वालील जमीन एयरपोर्ट के लिए मिल पाई। 

अंबाला रेंज के पुलिस कर्मियों को दिलाई पदोन्नति

हरियाणा में पिछले अनेक सालों से अंबाला रेंज के तहत आने वाले पुलिस कर्मचारियों के साथ प्रमोशन को लेकर भेदभाव हो रहा था। गृह मंत्री बनने के बाद जब मामला अनिल विज के सामने आया तो उन्होंने अधिकारियों से उसे तुरंत दुरुस्त करने को कहा। अनिल विज ने मंत्री पद छोड़ दिया, लेकिन पुलिस कर्मियों की प्रमोशन का मामला हल नहीं हुआ। अनिल विज लगातार इस मामले पर अपनी नजर बनाए हुए थे। पुलिस विभाग छोड़ने के बाद भी वह लगातार गृह विभाग संभाल रहे मुख्यमंत्री नायब सैनी और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क में रहे। कई बार वह मामले को लेकर सचिवालय में भी आए। अंत में अब उनकी पहल पर अंबाला रेंज के पुलिस कर्मियों को भी दूसरे रेंज के पुलिस कर्मियों के समान प्रमोशन का तोहफा मिला। इससे पहले दूसरी रेंज में भर्ती हुआ एक हेड कांस्टेबल प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर बन जाता था, जबकि अंबाला रेंज का पुलिस कर्मी हेडकांस्टेबल ही रहता था। अनिल विज की पहल के बाद अंबाला रेंज के पुलिस कर्मियों के साथ हो रहे इस भेदभाव को अब खत्म कर दिया गया है। 

रोने लग गए थे कर्मचारी

आज एनएचएम के कर्मचारी हड़ताल पर है। इससे पहले सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी हड़ताल कर चुके हैं, लेकिन अनिल विज के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए वह खुद ही अपने पास मौजूद सभी विभाग के कर्मचारियों को बुलाकर अधिकारियों को उनके समक्ष बैठाकर उनकी मांगे सुनकर उन्हें पूरा करने की कोशिश करते थे। अनिल विज ने बताया कि इसी प्रकार से उन्होंने एक विभाग के कर्मचारियों की मांगे जानने के लिए उन्हें बुलाया तो उनके पास पहुंचते ही वह लोग रोने लग गए थे, क्योंकि उससे पहले कभी भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई थी। 

अंबाला के लिए गौरव की बात

आज अगर कहें कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के अतिरिक्त केवल अनिल विज वह शख्स हैं, जिनका मान सम्मान और वोट बैंक प्रदेश के कोने-कोने में मौजूद है, तो गलत नहीं होगा। आज तक के इतिहास में कोई अतीत या वर्तमान का कोई मंत्री इस मुकाम को हासिल नहीं कर पाया तो यह भी गलत नहीं होगा। चौ0 चांद राम, पंडित रामविलास शर्मा, वीरेंद्र सिंह और चौ0 मंगलसेन जैसे कुछ नेता जाति विशेष के नेता के रूप में प्रदेश भर में पहचान जरूर रखते हैं, किंतु सर्व समाज में बड़ी लोकप्रियता स्थापित करने में अभी तक केवल अनिल विज ही कामयाब रहे हैं। जो उनके तथा उनकी विधानसभा के लोगों के लिए बेहद गौरव की बात है।

हर किसी के सुख-दुख में होते हैं शामिल

अनिल विज अंबाला ही नहीं, बल्कि आसपास की विधानसभा क्षेत्रों में अपने जानकारों और परिचितों के हर कार्यक्रम में शामिल होते हैं। किसी को कोई तकलीफ होने पर विज बिना किसी संकोच के उनके साथ खड़े रहते हैं। इसके लिए यदि उन्हें रात में भी कहीं जाना पड़े तो वह इससे भी पीछे नहीं हटते। अनिल का खुला दरबार भी पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध हुआ था। प्रदेश भर से आने वाले फरियादियों की संख्या इतनी अधिक होती थी कि कईं बार विज का आधी रात तक बैठकर उनकी समस्याएं सुनना पड़ती थी। इस दौरान कभी भी उन्होंने किसी से कोई नाराजगी नहीं की, बल्कि अंतिम फरियादी तक की शिकायत सुनी और उस पर एक्शन भी लिया। 

पिछली सरकारों द्वारा ना कर पाने वाले कार्य भी विज ने किए

अनिल विज ने शहरी निकाय, तकनीकी शिक्षा एवं गृह विभाग में कई ऐसे कार्य किए, जिन्हें आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। कोरोना काल के बावजूद कार्यालय में लगातार इनकी उपस्थिति ने जहां अधिकारियों का मनोबल बढ़ाया। वहीं इनके दिशा-निर्देशों पर इनके स्वास्थ्य- पुलिस व शहरी निकाय विभाग ने तत्परता से काम किया, जिसे देखकर हर एक प्रदेशवासी इनका मुरीद बन गया। शहरी निकाय विभाग में दूसरे विभागों के भरे कर्मचारियों से विभागीय कार्य कुशलता को प्रभावित होते देख उनके मूल विभाग में वापिस भेजकर प्रमोशन किए जाने का फैसला भी इन्हीं की देन है। 

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ऑनलाइन टेंडरिंग प्रणाली लागू की गई। तकनीकी शिक्षा विभाग में अतिथि अध्यापकों को उचित मानदेय तक नही मिलता था, विज के प्रयासों से उनके वेतन भत्ते बढ़ाए गए। इनके द्वारा पुरानी इमारतों को पुनः निर्माण की मंजूरी देना सूझबूझ के निर्णय साबित हुए। पुलिस विभाग में वरिष्ठता एवं प्रमोशंस की अनियमितताएं अनिल विज के प्रयासों से दूर हुई, जिनका निवारण पिछली सरकारें नहीं कर पाई थी। अच्छा कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों के सम्मान में 3 नए स्टेट लेवल मेडल लागू किए गए। 

गृह रक्षकों के वेतन भत्ते बढ़ाए गए। होमगार्ड का अपना ट्रेनिंग सेंटर बनाने के लिए जगह एक्वायर करवाई गयी। सभी एसएचओ को एक केस के हिसाब से स्टेशनरी चार्ज निर्धारित किए गए। इनके प्रयासों से मधुबन स्थित फॉरेंसिक लैब में आधुनिकता के कारण विसरा जांच प्रक्रिया में तेजी व सुधार आया। यह ऐसे नीतिगत, समय अनुरूप, तर्कसंगत एवं अपेक्षित फैसले किए गए, जिन्होंने अनिल विज को इतनी ख्याति प्रदान की कि वह आज प्रदेश के नही अपितु राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की फेहरिस्त में शामिल हो चुके हैं। 

इसमें उनकी बेबाक भाषण शैली और जनता दरबारो को भी विशेष योगदान रहा। जिसके फलस्वरूप जब-जब भी प्रदेश नेतृत्व परिवर्तन के बात चली तो स्वत अनिल विज का नाम सबसे ऊपर रहा। सचिवालय में सबसे अधिक उपस्थिति और सभी विभागों से जुड़ी समस्याओं को सुनना इनकी अतिरिक्त विशेषता रही है। यहां यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज उनका रुतबा मुख्यमंत्री से कम नहीं है।

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