मोगा के किसान ने 10 साल तक धान की पराली न जलाकर पेश की मिसाल
मोगा के गांव धल्लेके के किसान गुरप्रीत सिंह पिछले एक दशक से धान की पराली न जलाकर पर्यावरण अनुकूल खेती कर रहे हैं। उपायुक्त विशेष सारंगल ने उनके प्रयासों की सराहना की तथा अन्य लोगों से पर्यावरण तथा हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए उनके पदचिन्हों पर चलने का आग्रह किया।
मोगा के गांव धल्लेके के किसान गुरप्रीत सिंह पिछले एक दशक से धान की पराली न जलाकर पर्यावरण अनुकूल खेती कर रहे हैं। उपायुक्त विशेष सारंगल ने उनके प्रयासों की सराहना की तथा अन्य लोगों से पर्यावरण तथा हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए उनके पदचिन्हों पर चलने का आग्रह किया। 15 एकड़ में खेती करने वाले गुरप्रीत ने पिछले साल सुपर सीडर तकनीक अपनाई, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ी, खेती की लागत कम हुई और पैदावार में बढ़ोतरी हुई।
गुरप्रीत कहते हैं कि पराली न जलाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है और खेती की लागत कम हुई है। हमारी उपज भी हर साल बढ़ी है। वह अपने मार्गदर्शन के लिए कृषि विशेषज्ञों को श्रेय देते हैं तथा पर्यावरण शुद्धता में योगदान देने पर गर्व व्यक्त करते हैं। गुरप्रीत सुपर एसएसएमएस (सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करते हैं, जो पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता है, जो मिट्टी में मिल जाते हैं और उसकी उर्वरता बढ़ाते हैं।
कृषि विभाग के अधिकारी नियमित रूप से उनके खेतों का दौरा करते हैं और उन्हें अपनी टिकाऊ खेती की प्रथाओं को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। गुरप्रीत की पहल पर्यावरण के अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए साथी किसानों के लिए प्रेरणा का काम करती है। डिप्टी कमिश्नर सारंगल ने बताया कि प्रशासन ने पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने और रोकथाम के लिए 22 क्लस्टर अधिकारी और 334 नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं।
किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं। स्थानीय निवासी पराली जलाने की किसी भी घटना की सूचना प्रशासन को दे सकते हैं, जो तुरंत कार्रवाई करेगा। डीसी सारंगल ने किसान गुरप्रीत सिंह के प्रयासों की सराहना की तथा टिकाऊ कृषि के महत्व पर जोर दिया। यदि हमारे शिक्षित किसान आगे आएं, तो हम उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर सकते हैं। मैं सभी किसानों, विशेषकर युवा पीढ़ी से आग्रह करता हूं कि वे हमारे पर्यावरण की रक्षा और हमारे भविष्य को सुरक्षित करने के लिए इस मिशन में शामिल हों।
डिप्टी कमिश्नर ने जोर देकर कहा कि टिकाऊ कृषि पद्धतियों से लागत कम हो सकती है और पैदावार बढ़ सकती है। सामूहिक प्रयास सकारात्मक बदलाव को प्रेरित कर सकते हैं। शिक्षित नेतृत्व पर्यावरण संरक्षण को आगे बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि मोगा जिले में किसानों के लिए 7300 से अधिक कृषि मशीनें उपलब्ध हैं तथा जरूरत पड़ने पर और भी मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी।
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