जम्मू कश्मीर: डोडा में आतंकियों की तलाश में विलेज डिफेंस गार्ड कर रहे हैं सुरक्षा बलों की मदद
पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े आतंकियों की तलाश के लिए विलेज डिफेंस गार्ड के सदस्य गाई और बांदा में गश्त कर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में डोडा जिले के देसा जंगल में प्वाइंट 303 राइफल से लैस विलेज डिफेंस गार्ड (वीडीजी) के लोग सोमवार रात चार सैनिकों की जान लेने वाले आतंकियों की तलाश में सुरक्षा बलों की मदद कर रहे हैं।
वीडीजी ने संकल्प लिया है कि वे आतंकवादियों को इलाके से भागने नहीं देंगे।
हालांकि, उन्होंने कहा कि भारी हथियारों से लैस आतंकियों का मुकाबला करने के लिए उनके पुराने हथियारों को ज्यादा अपग्रेड राइफल से बदला जाना चाहिए।
पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े आतंकियों की तलाश के लिए विलेज डिफेंस गार्ड के सदस्य गाई और बांदा में गश्त कर रहे हैं।
वीडीजी समूह के सदस्य सुदर्शन सिंह ने कहा, "हम 14 घंटे से सोए नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, "वे सोमवार रात देसा जंगल में गोलीबारी के घटनास्थल से भाग निकले, लेकिन वे कब तक भागते रहेंगे, वे मारे जाएंगे। हम उन्हें भागने नहीं देंगे।"
दस-पंद्रह सदस्यों वाले इन समूहों को पहले विलेज डिफेंस कमेटी (वीडीसी) के रूप में जाना जाता था, जिनका गठन जम्मू में आतंकवादी खतरों के मद्देनजर ग्रामीणों को सेल्फ डिफेंस के लिए 1995 में किया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार रात पौने ग्यारह बजे से बुधवार देर रात दो बजे के बीच देसा वन क्षेत्र में कलां भाटा और पंचन भाटा के पास सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई।
उन्होंने बताया कि संदिग्ध गतिविधि देखने पर वीडीजी ने भी गोलीबारी की, जबकि गंडोह क्षेत्र से दो गोले बरामद किए गए।
सुदर्शन सिंह ने कहा कि उन्हें पिछले कुछ दिनों से आतंकियों की आवाजाही के बारे में सूचना मिल रही थी, लेकिन वे उनकी लोकेशन का पता नहीं लगा सके। सोमवार रात को आतंकियों ने पेट्रोलिंग पार्टी पर गोलीबारी की, जिसमें कैप्टन सहित चार सैनिक मारे गए, जो केंद्र शासित प्रदेश के जम्मू क्षेत्र में तीन सप्ताह में तीसरी बड़ी आतंकी घटना थी।
वीडीजी के एक और सदस्य संजय सिंह ने कहा, "आतंकी भाग रहे हैं, हम उन्हें इस इलाके से जिंदा नहीं जाने देंगे।"
सुदर्शन सिंह ने कहा कि प्वाइंट 303 राइफल ऑटोमेटिक हथियार के सामने कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा, "हम इलाके की भौगोलिक स्थिति जानते हैं। आतंकी अमेरिकी हथियार एम4 कार्बाइन से लैस हैं। उनका मुकाबला करने के लिए हमें ऑटोमेटिक हथियारों की जरूरत है।"
बता दें, केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से साल 2022 में वीडीसी के लिए नीति लागू की गईं और इसे शुरू किया गया। वीडीसी का नेतृत्व विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) करते थे। वीडीसी योजना में केवल एसपीओ को भुगतान किया जाता था लेकिन 2022 के बाद, वीडीजी के सभी सदस्यों को सरकार से पैसा दिया जा रहा है।
गृह मंत्रालय की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में कुल 4,153 वीडीजी और 32,355 एसपीओ जिला पुलिस अधीक्षकों या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों की निगरानी में जनता की सुरक्षा और आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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