नहीं रहे उस्ताद जाकिर हुसैन, 73 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

उन्हें 1988 में पद्म श्री और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2019 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

Dec 16, 2024 - 08:11
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नहीं रहे उस्ताद जाकिर हुसैन, 73 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस
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भारत के सुप्रसिद्ध तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस ली जहां उन्हें ह्रदय संबंधी समस्याओं की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की खबर से संगीत जगत और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है। उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हृदयगति रुकने (कार्डियक अरेस्ट) के कारण हुआ।

भारतीय संगीत को दी नई पहचान

उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने जीवन में तबला वादन को नई ऊँचाइयाँ दीं और इसे विश्व मंच पर पहचान दिलाई। 9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे जाकिर हुसैन को तबले की शिक्षा उनके पिता और महान तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा से मिली थी। उन्होंने अपने करियर में भारतीय शास्त्रीय संगीत को न केवल लोकप्रिय बनाया बल्कि इसे पश्चिमी संगीत के साथ जोड़कर नई शैली को जन्म दिया।

उनकी उपलब्धियाँ

उस्ताद जाकिर हुसैन ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। उन्हें 1988 में पद्म श्री और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2019 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। उन्होंने कई ग्रैमी अवार्ड्स भी जीते।

जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ फ्यूजन म्यूजिक में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। उनके द्वारा "शक्ति" बैंड के साथ की गई प्रस्तुतियाँ आज भी संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं। उन्होंने कई प्रसिद्ध कलाकारों जैसे कि जॉन मैकलॉघलिन, पंडित रविशंकर और हरि प्रसाद चौरसिया के साथ सहयोग किया।

कला जगत में शोक की लहर

उनके निधन की खबर से कला और संगीत जगत में गहरा दुःख व्याप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, "उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी कला से भारत का नाम विश्व पटल पर रोशन किया। उनकी अनुपस्थिति हमेशा खलेगी।"

प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर की बहन आशा भोसले ने कहा, "उस्ताद जी के जाने से संगीत की दुनिया में जो खालीपन आया है, उसे भरना मुश्किल होगा। वे न केवल एक महान कलाकार थे, बल्कि एक विनम्र और सच्चे इंसान भी थे।"

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