अमेरिकी सेना में मुसलमानों, सिखों के दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध
अमेरिकी सेना में सेवा दे रहे सिखों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए हाल ही में जारी एक आदेश ने गहरी चिंता पैदा कर दी है। सिख गठबंधन (Sikh Coalition) ने अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ द्वारा लागू किए गए नए "ग्रूमिंग स्टैंडर्ड" पर तीखी प्रतिक्रिया दी है
अमेरिकी सेना में सेवा दे रहे सिखों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए हाल ही में जारी एक आदेश ने गहरी चिंता पैदा कर दी है। सिख गठबंधन (Sikh Coalition) ने अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ द्वारा लागू किए गए नए "ग्रूमिंग स्टैंडर्ड" पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस नए नियम के तहत सेना में दाढ़ी रखने पर लगभग पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है - जिससे सिख, मुस्लिम और रूढ़िवादी यहूदी सैनिकों की धार्मिक मान्यताओं पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है।
रक्षा मंत्री हेगसेथ ने 30 सितंबर को मरीन कॉर्प्स बेस क्वांटिको में 800 से अधिक शीर्ष सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सेना अब 2010 से पहले के ग्रूमिंग स्टैंडर्ड्स पर लौटेगी। इस नीति के तहत दाढ़ी सिर्फ दुर्लभ मेडिकल या चुनिंदा धार्मिक मामलों में ही स्वीकार की जाएगी। लेकिन अधिकांश मामलों में, सभी सैनिकों को क्लीन-शेव रहना अनिवार्य होगा, यहां तक कि कई ऑपरेशनल ड्यूटीज में भी यह नियम लागू रहेगा।
सिख समुदाय ने फैसले को बताया ‘धार्मिक पहचान पर हमला’
सिख गठबंधन ने इस फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि यह न केवल सिखों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है, बल्कि सेना में वर्षों से चली आ रही समावेशिता की संस्कृति पर भी प्रहार है। सिख धर्म में दाढ़ी और पगड़ी को धार्मिक पहचान का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।
यूएस आर्मी के एक सिख सैनिक ने ट्वीट कर कहा, "मेरा केश ही मेरी पहचान है। समावेशिता के लिए वर्षों की लड़ाई के बाद यह विश्वासघात जैसा लगता है।"
समुदाय का कहना है कि इस नीति से न केवल वर्तमान में सेवा दे रहे सिख सैनिकों की पहचान प्रभावित होगी, बल्कि यह भविष्य में सेना में शामिल होने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए भी एक बड़ी बाधा बन सकती है।
नए आदेश से धार्मिक स्वतंत्रता पर मंडराया संकट
पेंटागन द्वारा जारी "चेहरे के बालों के लिए सौंदर्य मानक" नामक दस्तावेज में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी सैन्य शाखाएं 60 दिनों के भीतर इस नीति को लागू करेंगी। हालांकि कुछ ऑपरेशनल परिस्थितियों में छूट दी गई है, लेकिन तैनाती से पहले सभी सैनिकों को क्लीन-शेव रहना होगा।
विशेषज्ञों और धार्मिक संगठनों का मानना है कि यह निर्णय अमेरिका के संवैधानिक मूल्यों और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों के खिलाफ जाता है। वे इस नीति को चुनौती देने के लिए कानूनी और सामाजिक स्तर पर सक्रिय हो गए हैं।
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