राज्य में DAP की कोई कमी नहीं है, विपक्ष अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगा – मुख्यमंत्री

सच यह है कि इस साल राज्य सरकार ने पिछले साल से भी अधिक डीएपी किसानों को दिलवाई है तथा जितनी भी और मांग किसी भी किसान की होगी, उसे जरूर समय रहते पूरा किया जाएगा। 

Nov 15, 2024 - 15:19
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राज्य में DAP की कोई कमी नहीं है, विपक्ष अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगा – मुख्यमंत्री
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एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ :  हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य में डीएपी की कोई कमी नहीं है। विपक्ष के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए डीएपी की कमी की अफवाहे फैला रहे हैं। सच यह है कि इस साल राज्य सरकार ने पिछले साल से भी अधिक डीएपी किसानों को दिलवाई है तथा जितनी भी और मांग किसी भी किसान की होगी, उसे जरूर समय रहते पूरा किया जाएगा। 

नायब सिंह सैनी ने कहा कि पिछले वर्ष 13 नवंबर तक प्रदेश में 1 लाख 62 हजार मीट्रिक टन डीएपी की खपत हुई थी। इस वर्ष 13 नवंबर तक 1 लाख 77 हजार मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है। अर्थात 15 हजार मीट्रिक टन ज्यादा डीएपी सरकार ने किसानों को दी है। इतना ही नहीं आज जिलों में 14 हजार 750 मीट्रिक टन डीएपी और प्राप्त हो जाएगी।

उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में डीएपी की मांग कांग्रेस सरकार में लगातार बढ़ती रही, लेकिन उन्होंने इसको पूरा करने पर कभी ध्यान नहीं दिया। इनके कार्यकाल में ऐसा कोई वर्ष नहीं था जब अन्नदाता को खाद की कमी का सामना न करना पड़ा हो। वर्ष 2005, 2006, 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013 किसी भी वर्ष में इसी विधानसभा की कार्यवाही निकलवाकर देख लीजिए, खाद की कमी का मुद्दा यहां गूंजता रहा है। हर साल बिजाई के मौके पर डीएपी उपलब्ध नहीं होता था और किसानों को ब्लैक में खाद खरीदनी पड़ती थी।

21 लाइसेंस निलंबित किए गए

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में लगातार डीएपी के विषय का ध्यान रखा है और हर साल किसानों को पर्याप्त डीएपी उपलब्ध करवाया है। सरकार ने डीएपी की कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। इस वर्ष प्रदेश में 185 छापे मारे गए हैं, 105 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, 21 लाइसेंस निलंबित किए गए हैं, 8 लाइसेंस रद्द किए गए हैं, 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 16 मामलों में बिक्री रोक दी गई है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष 13 नवंबर तक प्रदेश में 1 लाख 62 हजार मीट्रिक टन डीएपी की खपत हुई थी और इस वर्ष 13 नवंबर तक 1 लाख 77 हजार मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है। उन्होंने सदस्य द्वारा झज्जर में उठाए गए डीएपी के आंकड़ों का जवाब देते हुए कहा कि पिछले वर्ष 1 अक्तूबर से 12 नवम्बर तक 4,455 मीट्रिक टन डी.ए.पी. किसानों द्वारा खरीदी गई थी। इस वर्ष इसी अवधि में अब तक 5,892 मीट्रिक टन डीएपी किसानों द्वारा खरीदी जा चुकी है। पिछले वर्ष से 32 प्रतिशत अधिक डीएपी झज्जर जिला के किसानों को दी है। इस समय भी झज्जर जिले में 555 मीट्रिक टन डीएपी का स्टॉक उपलब्ध है। आज जिला झज्जर में 1140 मीट्रिक टन डीएपी का एक और रैक भी पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि नारनौंद में गत 1 अक्तूबर से 13 नवम्बर तक 2090 मीट्रिक टन डीएपी किसानों द्वारा खरीदी गई है। इसके अलावा और भी जो मांग होगी, उसे भी तुरंत पूरा किया जाएगा ।

जिलों में 4,04,742 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध

मुख्यमंत्री ने कहा कि रबी सीजन 2024-25 के दौरान हरियाणा को कुल 11,20,000 मीट्रिक टन यूरिया आबंटित किया गया है। अभी तक 6,57,731 मीट्रिक टन यूरिया राज्य में प्राप्त हो चुका है। राज्य के विभिन्न जिलों में 4,04,742 मीट्रिक टन यूरिया अभी भी उपलब्ध है। हरियाणा राज्य में यूरिया की कोई कमी नहीं है।

नायब सिंह सैनी ने कहा कि वर्ष 2005 से 2014 तक किसानों को फसल खराबे की कुल 1158 करोड़ रुपए की राशि दी गई, जबकि वर्तमान राज्य सरकार ने  वर्ष 2014 से लेकर अब तक   14,860.29 करोड़ रुपये की राशि क्षतिपूर्ति व नुकसान की भरपाई के रूप में किसानों को डीबीटी के माध्यम से उनके खातों में दी है। साथ ही, उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे प्राकृतिक खेती योजना के प्रति किसानों को प्रेरित करें। अभी तक 23,776 किसानों ने विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है। 9910 किसान सत्यापित भी हो चुके है। इससे डीएपी और यूरिया की मांग कम होती है।

किसान की मौत का मामला डीएपी से नहीं जुड़ा हुआ

मुख्यमंत्री ने जींद में किसान की मृत्यु के मामले पर कहा कि बड़े दुःख की बात है कि किसान रामभगत ने गत 6 नवम्बर को कीटनाशक दवाई पीकर आत्महत्या कर ली। परंतु यह और भी दुख की बात है कि कुछ लोग इस घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्व रिकार्ड अनुसार मृतक रामभगत के नाम कोई जमीन गांव भीखेवाला में नही है। उनके पिता किदार सिंह के नाम गांव भीखेवला में 3 कनाल कृषि योग्य भूमि है और 125 गज गैर मुमकिन जमीन है। रामभगत ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर भी पंजीकरण नहीं करवाया था। जहां तक डीएपी की उपलब्धता की बात है भीखेवाला गाँव दनौदा पैक्स के अन्तर्गत आता है और दनौदा पैक्स में गत 1 से 6 नवम्बर तक प्रतिदिन कम से कम 1200 बैग डीएपी के उपलब्ध थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस दिन रामभगत ने आत्महत्या की उस दिन भी दनौदा पैक्स में 1224 बैग डीएपी उपलब्ध थी और उस दिन वहां 600 से ज्यादा बैग डीएपी की बिक्री भी हुई है। इस मामले में 7 नवम्बर को पुलिस स्टेशन, उकलाना में दर्ज एफआईआर में उसके मामा सतबीर सिंह, गावं कापड़ो, जिला हिसार ने स्पष्ट कहा है कि रामभगत कई दिनों से मानसिक रुप से परेशान थे।  इसलिए यह मामला डीएपी खाद से जुड़ा नहीं है। दुःख की बात है कि कुछ लोग किसान की मृत्यु पर दुखी न होकर उसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

किसान हित राज्य सरकार के लिए सर्वोपरि

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान हित हमारे लिए सर्वोपरि हैं। पिछले 10 सालों में सरकार बीज से लेकर बाजार तक किसानों के साथ खड़ी रही है। हमने अपने संकल्प-पत्र में उन सभी 24 फसलों के दाने-दाने की खरीद का संकल्प लिया था, जिनकी एमएसपी तय की जाती है। राज्य सरकार चालू खरीफ सीजन में धान व बाजरे के हर दाने की खरीद एमएसपी पर कर रही है।

पराली जलाने की घटनाओं में इस वर्ष 45 प्रतिशत की कमी आई

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 8 नवम्बर तक कुल 906 जगह पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं। इनमें से 22 घटनाएं आकस्मिक कारणों से हुई हैं। पिछले वर्ष इस अवधि में 1649 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं। इस प्रकार इन घटनाओं में इस वर्ष 45 प्रतिशत की कमी आई है। इस बात की सराहना माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी की है। अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह नहीं करने वाले नोडल अधिकारियों के विरुद्ध भी राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। सरकार ने ऐसे 26 अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित किया है। लगभग 250 अधिकारियों व कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस देकर उनसे जवाब भी मांगा है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि अधिकारियों को भी प्रदूषण फैलाने के प्रति जवाबदेह माना गया है। 

उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में लगभग 38 लाख 87 हजार एकड़ क्षेत्र में धान लगाया गया था। पराली के प्रबंधन के लिए 22 लाख 65 हजार मीट्रिक टन पराली को चारे के रूप में उपयोग करने की योजना बनाई। इसके अलावा, खेतों में ही 33 लाख मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन किया जा रहा है तथा 25 लाख 39 हजार मीट्रिक टन पराली का प्रयोग उद्योगों आदि में किया जा रहा है।

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