शंभू बॉर्डर किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के मामले में तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के मामले में तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। किसानों द्वारा की जा रही इस महापंचायत और आंदोलन को लेकर दायर याचिका में प्रदर्शन के चलते हो रही दिक्कतों का हवाला दिया गया था। हालांकि, अदालत ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई जरूरी नहीं है और याचिका को सामान्य प्रक्रिया के तहत सुना जाएगा।
कई लोग इस आंदोलन के कारण हो रहे यातायात बाधाओं और जनजीवन प्रभावित होने की शिकायत कर रहे थे। वहीं, किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं और सरकार से बातचीत की मांग कर रहे हैं।
क्यों कर रहे हैं किसान आंदोलन?
शंभू बॉर्डर पर किसान विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें प्रमुख मांगें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कर्ज माफी, और कृषि कानूनों से संबंधित वादों को पूरा करना शामिल है। किसानों का कहना है कि सरकार ने जो वादे पहले किए थे, उन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया है।
पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान इस आंदोलन में शामिल हो चुके हैं। शंभू बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है, ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और भविष्य की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंदोलन के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन इससे आम जनता को अनावश्यक असुविधा न हो, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक मामला गंभीर रूप से संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं करता, तब तक तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत का क्या नतीजा निकलता है। किसानों की मांगों को लेकर पहले भी कई बार केंद्र सरकार से वार्ता हो चुकी है, लेकिन समाधान अब तक नहीं निकल पाया है।
किसान आंदोलन के चलते शंभू बॉर्डर पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। यातायात बाधित होने के कारण आम नागरिकों को परेशानी हो रही है, लेकिन किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं।
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