सहारा के निवेशकों को SC से मिली खुशखबरी, अटके पैसे इस तरह मिलेंगे वापस
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया परिवार की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प को यह निर्देश दिया है। इन्हें अगले 30 दिनों के अंदर 1 हजार करोड़ रुपये जमा कराने को कहा गया है।
सहारा समूह के निवेशकों को जल्द ही अपना फंसा हुआ पैसा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया, जो सहारा के निवेशकों के लिए राहत भरा साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने समूह को 1 महीने के अंदर 1 हजार करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इन 2 कंपनियों को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया परिवार की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प को यह निर्देश दिया है। इन्हें अगले 30 दिनों के अंदर 1 हजार करोड़ रुपये जमा कराने को कहा गया है। दोनों कंपनियों को यह रकम सेबी-सहारा फंड में जमा कराने को कहा गया है। सेबी-सहारा फंड में रकम जमा कराने से निवेशकों को अपना फंसा हुआ पैसा मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी।
एक साल से ज्यादा समय पहले शुरू हुआ रिफंड पोर्टल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल जुलाई में सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किया था हालांकि सहारा रिफंड पोर्टल के लॉन्च होने के एक साल से भी ज्यादा समय बाद भी कई निवेशकों को उनका फंसा हुआ पैसा नहीं मिल पाया है।
सहारा समूह ने जमा किए सिर्फ 15 हजार करोड़
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को सेबी-सहारा फंड में 25 हजार करोड़ जमा करने को कहा था। अभी तक सहारा समूह ने फंड में सिर्फ 15 हजार करोड़ ही जमा किए हैं। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सहारा समूह की कंपनियों को जो फंड जमा करना था, उसमें अभी भी 10 हजार करोड़ की कमी है। इस फंड से निवेशकों को उनका फंसा हुआ पैसा दिया जा रहा है।
किसी भी प्रॉपर्टी की बिक्री से मिलने वाला पैसा सेबी-सहारा फंड में आएगा
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को पैसे की कमी की भरपाई के लिए ज्वाइंट वेंचर बनाने या लैंड डेवलपमेंट एग्रीमेंट करने को भी कहा है। यह निर्देश सहारा की वर्सोवा प्रॉपर्टी के लिए है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर सहारा समूह की कोई कंपनी कोई दूसरी प्रॉपर्टी बेचती है, तो उससे मिलने वाला पैसा सेबी-सहारा फंड में जमा किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय एक महीने बाद मामले की फिर सुनवाई करेगा और देखेगा कि सहारा ने उसके निर्देशों का किस हद तक पालन किया है।
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