जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार, साल 2018 में खजाना खोलने की क्या है कहानी

जगन्नाथ पुरी का रत्न भंडार आखिरी बार साल 1985 में खोला गया था, इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण रखे हुए हैं, साथ ही सोने-चांदी के बर्तन भी हैं, इस खजाने को खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के कहने पर हाईकोर्ट ने साल 2018 में इसे खोलने का आदेश दिया था

Jul 14, 2024 - 18:20
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जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार, साल 2018 में खजाना खोलने की क्या है कहानी

ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर के बाहर जमा भीड़ से सोलह लोग अंधेरी गुप्त गली में प्रवेश कर गए, उनके हाथों में टॉर्च और दिल में उत्सुकता थी। भुवनेश्वर से विशेष बचाव कर्मी और सांप पकड़ने वाली टीम बाहर मुस्तैद थी, 16 लोगों की टीम लंबे अंतराल के बाद जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में प्रवेश कर रही थी, हालांकि, यह अभियान ज्यादा दिन नहीं चला, टीम भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार के मुख्य कक्ष में नहीं जा सकी।

जगन्नाथ पुरी का रत्न भंडार आखिरी बार साल 1985 में खोला गया था, इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण रखे हुए हैं, साथ ही सोने-चांदी के बर्तन भी हैं, इस खजाने को खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के कहने पर हाईकोर्ट ने साल 2018 में इसे खोलने का आदेश दिया था, लेकिन प्रोसेस पूरी नहीं हो सकी थी, इसकी वजह भी बड़ी अजीब बताई गई थी, तब कहा गया था कि चैंबर की चाबी नहीं मिल रही है।

ये चाबी नियम के मुताबिक, पुरी कलेक्टर के पास होती हैं। तत्कालीन कलेक्टर अरविंद अग्रवाल थे, उन्होंने माना था कि उनके पास चाबी की कोई जानकारी नहीं। इसके बाद पूरे स्टेट में काफी बवाल मचा था, यहां तक कि तत्कालीन सीएम नवीन पटनायक को दखल देना पड़ा था, उन्होंने इसकी तहकीकात का आदेश दिया था।

इंक्वायरी कमेटी ने लगभग 2 हफ्तों बाद बताया था कि उन्हें एक लिफाफा मिला है, जिसके ऊपर लिखा है- भीतरी रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां, इसके साथ ही एक लंबी-चौड़ी रिपोर्ट भी दी गई, लेकिन इसमें क्या लिखा है, ये कभी सार्वजनिक नहीं हो सका, ओडिशा के रत्न भंडार का रहस्य अकेला नहीं है, देश में एक और मंदिर भी है, जिसके दरवाजे के बारे काफी बातें होती हैं।

इस मंदिर का खजाना भी बना हुआ है रहस्य

केरल का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर सबसे ज्यादा दौलतमंद मंदिरों में गिना जाता है. कहते हैं कि इसके गुप्त तहखाने में इतना खजाना छिपा है, जिसका कोई अंदाजा भी न लगा सके. ऐसे 7 तहखाने हैं, जिसमें से छह खोले जा चुके हैं, लेकिन सातवें का पट अब भी बंद है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ये दरवाजे खोले गए, जिसमें से काफी खजाना मिला. ये मंदिर ट्रस्ट में जमा करने के बाद जैसे ही सातवें दरवाजे को खोलने की कोशिश की, कई मुश्किलें आने लगीं. इतिहासकार और सैलानी एमिली हैच ने अपनी किताब- त्रावणकोर: एक गाइड बुक फॉर द विजिटर में मंदिर के रहस्यमयी दरवाजों का जिक्र किया था.

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