46 साल से बंद खजाना, सांपों का डेरा और गुम चाबियां, जानें पूरी कहानी
त्योहारों या किसी अन्य अवसर पर इसे खोला जाता है और रत्नों को निकालकर भगवान का श्रृंगार किया जाता है। ऐसा रथ यात्रा के दौरान होता है। रत्न भंडार का भीतरी कक्ष पिछले 46 सालों से बंद है।
भगवान जगन्नाथ मंदिर का दुर्लभ खजाना आज खोल दिया गया है। इससे पहले वर्ष 2018 में भी इस खजाने को खोलने का प्रयास किया गया था, लेकिन तब प्रयास रोक दिया गया था। इस तहखाने को आखिरी बार वर्ष 1985 में खोला गया था। इस दौरान राजाओं के मुकुट से लेकर खजाने से भरी तिजोरियां तक सब कुछ देखने को मिला। दरअसल, रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और खाने के बर्तन रखे हुए हैं। खजाने में वो चीजें हैं जो उस दौर के राजाओं और भक्तों ने मंदिर में चढ़ाई थीं।
ये चीजें तब से 12वीं सदी में बने मंदिर में रखी हुई हैं। इस भंडारगृह के दो हिस्से हैं, एक बाहरी और एक भीतरी भंडारगृह। खजाने का बाहरी हिस्सा समय-समय पर खोला जाता है। त्योहारों या किसी अन्य अवसर पर इसे खोला जाता है और रत्नों को निकालकर भगवान का श्रृंगार किया जाता है। ऐसा रथ यात्रा के दौरान होता है। रत्न भंडार का भीतरी कक्ष पिछले 46 सालों से बंद है। इसे आखिरी बार साल 1978 में खोला गया था। साल 1985 में भी इन कक्षों को खोला गया था, लेकिन इसके उद्देश्य और अंदर क्या है, इस बारे में कुछ नहीं बताया गया।
अंदर कितना खजाना है?
साल 2018 में विधानसभा में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि जब इसे आखिरी बार यानी 1978 में खोला गया था, तब रत्न भंडार में करीब साढ़े 12 हजार भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होती है) सोने के आभूषण थे, जो कीमती पत्थरों से जड़े हुए थे। 22 हजार भरी से कुछ ज्यादा कीमत के चांदी के बर्तन भी थे। कई अन्य आभूषण भी थे, जिनका तब वजन नहीं किया गया था।
साल 2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने सरकार को मंदिर के इस कक्ष को निरीक्षण के लिए खोलने का निर्देश दिया था। हालांकि, कक्ष की चाबियां नहीं मिल पाईं, जिससे पूरे राज्य में नाराजगी देखी गई। पिछले लोकसभा चुनाव में रत्न भंडार (खजाना कक्ष) की खोई चाबियों का मुद्दा उठा था।
ओडिशा के लोगों की जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में गहरी आस्था है। रत्न भंडार जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में स्थित है। रत्न भंडार में सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा दान किए गए कीमती आभूषण रखे हुए हैं। इसे आखिरी बार 14 जुलाई 1985 को खोला गया था।
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