Odisha: आखिर 46 साल बाद क्यों खोला जा रहा है जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार? जानें
चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में रत्न भंडार है। कहा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रत्न इसी रत्न भंडार में रखे हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को रत्न चढ़ाए थे।
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित खजाना 'रत्न भंडार' आज खुल गया है। राज्य सरकार द्वारा आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची बनाने के लिए 46 साल बाद यह खजाना खोला गया है। इससे पहले इसे 1978 में खोला गया था।
तीन देवताओं के कीमती रत्न रखे हैं
चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में रत्न भंडार है। कहा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रत्न इसी रत्न भंडार में रखे हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को रत्न चढ़ाए थे। वे सभी रत्न भंडार में रखे गए हैं। इस रत्न भंडार में मौजूद रत्नों की कीमत अमूल्य बताई जाती है। इसका आज तक मूल्यांकन नहीं किया जा सका है। यह ऐतिहासिक भंडार जगन्नाथ मंदिर के जगमोहन के उत्तरी भाग में है।
आपको बता दें, पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1952 के तहत तैयार अधिकारों के अभिलेख में भगवान जगन्नाथ के आभूषणों की सूची शामिल है।
जगन्नाथ मंदिर का यह रत्न भंडार 2 भागों में विभाजित है।
1- आंतरिक भंडार
2- बाहरी भंडार
भगवान द्वारा अक्सर पहने जाने वाले आभूषण बाहरी भंडार में रखे जाते हैं। जो आभूषण उपयोग में नहीं आते हैं, उन्हें आंतरिक भंडार में रखा जाता है। रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा अभी भी खुला हुआ है, लेकिन आंतरिक भंडार की चाबी पिछले छह सालों से गायब है।
भंडार में कितना खजाना है
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे के अनुसार, रत्न भंडार में तीन कक्ष हैं। 25 x 40 वर्ग फीट के आंतरिक कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। इनका कभी उपयोग नहीं हुआ। बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। इन्हें त्योहारों पर निकाला जाता है। वहीं, मौजूदा कक्ष में 3 किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है। इनका इस्तेमाल दैनिक अनुष्ठानों में होता है।
कब-कब खुला है?
मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख अरविंद पाढ़ी ने बताया कि इससे पहले रत्न भंडार को 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और कीमती चीजों की सूची बनाई गई थी। रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 को खोला गया था। उस समय इसकी मरम्मत करके इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला और इसकी चाबी भी गायब है।
कैसे मिली गायब चाबी?
भंडार गृह की चाबियों के खो जाने की बात तब सामने आई जब सरकार ने मंदिर की संरचना की भौतिक जांच करने की कोशिश की। 4 अप्रैल 2018 को सूचना मिली कि रत्न भंडार की चाबियां खो गई हैं। हंगामे के बाद नवीन पटनायक ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए और नवंबर 2018 में आयोग ने 324 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद पुरी के तत्कालीन जिला कलेक्टर को रहस्यमय तरीके से एक लिफाफा मिला, जिसमें आंतरिक रत्न भंडार की नकली चाबियां थीं, जिसने लंबे समय से चल रहे विवाद को और हवा दे दी। मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले को उठाया था। 20 मई 2024 को पीएम मोदी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का प्रचार करने ओडिशा गए थे। पुरी में जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रत्न भंडार का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है। मंदिर के रत्न भंडार की चाबी पिछले छह साल से गायब है।
इसे अब क्यों खोला जा रहा है?
इस बात का कोई अनुमान नहीं है कि 1978 से अब तक मंदिर में कितनी संपत्ति जमा हुई है। 12वीं शताब्दी में बना जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है। हाल ही में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में रत्न भंडार को खोलना बड़ा मुद्दा रहा था। भाजपा ने वादा किया था कि ओडिशा में सरकार बनने पर खजाना खोला जाएगा। मालूम हो कि इससे पहले 2011 में तिरुवनंतपुरम स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर का खजाना खोला गया था। तब 1.32 लाख करोड़ रुपये का खजाना मिला था।
अब कैसे खुलेगा भंडार?
ओडिशा सरकार ने पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोलने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक नई उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, ताकि इसमें रखे गए कीमती सामानों की सूची तैयार की जा सके। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि इस संबंध में ओडिशा उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार समिति का गठन किया गया है। इस साल मार्च में पिछली बीजू जनता दल सरकार ने रत्न भंडार में रखे गए आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। भाजपा सरकार ने न्यायमूर्ति पसायत की अध्यक्षता वाली समिति को भंग कर नई समिति गठित की है।
समिति गठित की गई है
पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को खोलने की प्रक्रिया रविवार से शुरू होगी। श्रीमंदिर ने एक समिति गठित की है। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए मंदिर संचालन समिति के सदस्यों के साथ रिजर्व बैंक और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। रत्न भंडार में मौजूद सभी चीजों के डिजिटल दस्तावेज तैयार किए जाएंगे।
What's Your Reaction?