Punjab : 328 पावन स्वरूपों की गुमशुदगी पर पंजाब सरकार सख्त, दर्ज कराई FIR
पंजाब की राजनीति में एक ऐसा मामला जिसमें करीब साढ़े नौ वर्षों से कोई चर्चा नहीं हुई, उसे अब मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार ने दोबारा खोल दिया है।
पंजाब की राजनीति में एक ऐसा मामला जिसमें करीब साढ़े नौ वर्षों से कोई चर्चा नहीं हुई, उसे अब मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार ने दोबारा खोल दिया है। यह मामला श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 328 पावन स्वरूपों की रहस्यमयी गुमशुदगी से जुड़ा है, जो 2016 में पहली बार उजागर हुआ था। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा “हमारी सरकार धर्म और आस्था से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। जांच निष्पक्ष होगी और दोषी चाहे कोई भी हो, उसे सजा मिलेगी।”
2016 में उजागर हुआ था मामला
यह मामला SGPC (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति) के प्रकाशन विभाग से जुड़ा है, जहां एक वरिष्ठ कर्मचारी की रिटायरमेंट के बाद रिकॉर्ड जांच में यह खुलासा हुआ कि दर्जनों स्वरूप बिना किसी आधिकारिक एंट्री के विभाग से बाहर गए। शुरुआत में 267 स्वरूप गायब बताए गए, लेकिन 2020 में श्री अकाल तख्त साहिब की विशेष जांच समिति ने संख्या बढ़ाकर 328 कर दी। रिपोर्ट के अनुसार, 186 स्वरूप बिना किसी आधिकारिक अनुमति के जारी किए गए, जो धार्मिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर गंभीर उल्लंघन था।
कार्रवाई न होने पर उठा सवाल
2016 में जब पंजाब में प्रकाश सिंह बादल सरकार थी, तब SGPC पर आरोप लगा कि उसने मामले को दबाने की कोशिश की। आंतरिक जांच की बातें तो हुईं, लेकिन न तो पुलिस को मामला सौंपा गया और न ही किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई।
2017 में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार सत्ता में आई, तो सिख संगठनों ने उम्मीद जताई कि न्याय मिलेगा।हालांकि धरने, विरोध प्रदर्शन और जांच कमेटियों के गठन के बावजूद, कोई FIR दर्ज नहीं हुई।
2021 में जब चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बने, तब फिर एक बार उम्मीद जगी, लेकिन छोटे कार्यकाल, चुनावी माहौल और प्रशासनिक सुस्ती के कारण यह मामला फिर फाइलों में दबा रह गया।
2022 में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद सिख संगठनों ने सरकार को ज्ञापन सौंपे। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए पुरानी फाइलें, जांच रिपोर्ट और दस्तावेज दोबारा खोले।
FIR में लगाए गए आरोप
FIR में आरोप है कि नामजद कर्मचारियों ने रिकॉर्ड से बाहर पावन स्वरूपों का वितरण किया, आधिकारिक रजिस्टर में छेड़छाड़ की और अनुचित ढंग से स्वरूप जारी किए।
What's Your Reaction?