Punjab : 11 दिन पहले हुई थी शादी, खेल के मैदान पर हत्या, कौन थे कबड्डी प्लेयर राणा बलाचौरिया ?
मोहाली में कबड्डी मैच के दौरान गोलीबारी में मारे गए कंवर दिग्विजय सिंह उर्फ राणा बलाचौरिया हिमाचल प्रदेश के एक शाही परिवार से थे। उनके परदादा ऊना के पास एक रियासत के राजा थे।
मोहाली में कबड्डी कप के दौरान हुई सनसनीखेज फायरिंग में जान गंवाने वाले कंवर दिग्विजय सिंह उर्फ राणा बलाचौरिया का संबंध एक प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से था। वह हिमाचल प्रदेश के एक शाही वंश से जुड़े हुए थे। बताया जाता है कि उनके परदादा ऊना के पास स्थित एक रियासत के राजा थे। परिवार के करीबी लोगों के अनुसार, सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी भी कभी उनके पूर्वजों के घर ठहरे थे और वहीं उन्होंने 100 साखियां लिखी थीं।
कौन थे राणा बलाचौरिया ?
मोहाली में कबड्डी कप के दौरान हुई सनसनीखेज फायरिंग में जान गंवाने वाले कंवर दिग्विजय सिंह उर्फ राणा बलाचौरिया का संबंध एक प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से था। वह हिमाचल प्रदेश के एक शाही वंश से जुड़े हुए थे। कंवर दिग्विजय सिंह ने शुरू में कुश्ती की और बाद में कबड्डी खिलाड़ी बन गए। फिर उन्होंने अपनी खुद की कबड्डी टीम बनाई और प्रमोटर के तौर पर भी काम किया।
दिलचस्प बात यह है कि कंवर मॉडलिंग में भी हाथ आज़मा रहे थे और आने वाले समय में कुछ म्यूज़िक वीडियो में आने की प्लानिंग कर रहे थे। बताया जाता है कि उनके परदादा ऊना के पास स्थित एक रियासत के राजा थे। परिवार के करीबी लोगों के अनुसार, सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी भी कभी उनके पूर्वजों के घर ठहरे थे और वहीं उन्होंने 100 साखियां लिखी थीं।
कैसा रहा करियर का सफर ?
राणा बलाचौरिया ने अपने करियर की शुरुआत कुश्ती से की थी। बाद में उन्होंने कबड्डी को अपनाया और खिलाड़ी के तौर पर पहचान बनाई। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने कुश्ती शुरू कर दी थी और बाद में कबड्डी में कदम रखा। वह संपन्न परिवार से थे और उन्हें लग्जरी गाड़ियों व हथियारों का शौक था।
आगे चलकर उन्होंने अपनी खुद की कबड्डी टीम बनाई और प्रमोटर की भूमिका में भी सक्रिय हो गए। खेल के अलावा वह मॉडलिंग में भी रुचि रखते थे और आने वाले समय में म्यूजिक वीडियोज़ में काम करने की योजना बना रहे थे।
शादी के 11 दिन बाद टूटा संसार
राणा ने देहरादून की एक युवती से लव मैरिज की थी। उनकी शादी 4 दिसंबर को हुई थी और 6 दिसंबर को रिसेप्शन आयोजित किया गया था। शादी को लेकर वह बेहद खुश और उत्साहित थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। शादी के महज 11 दिन बाद ही इस दर्दनाक घटना ने उनकी पत्नी का सुहाग उजाड़ दिया।
मोहाली में शुरुआती दिनों में राणा साधारण तरीके से बाइक पर ही सफर करते थे। मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। उन्हें महंगी कारों का खास शौक था, लेकिन सबसे बड़ी बात यह थी कि वह अपने दोस्तों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते थे।
कोरोना काल में की समाजसेवा
कोरोना महामारी के दौरान, जब लोग घरों में कैद थे, तब राणा बलाचौरिया मोहाली में सामाजिक कार्यों में सक्रिय नजर आए। वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर जरूरतमंदों तक राशन और जरूरी सामान पहुंचाते थे। दोस्तों के मुताबिक, उन्हें रोटी और दूध बेहद पसंद था। वह पूरी तरह शाकाहारी थे और कभी नशे को हाथ तक नहीं लगाया।
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से है ऐतिहासिक संबंध
अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में राणा बलाचौरिया ने खुद लिखा था कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी उनके घर पर 13 महीने, 13 घंटे और 13 पल तक ठहरे थे। इस दौरान उनके परिवार को गुरु साहिब की सेवा करने का सौभाग्य मिला और वहीं 100 साखियां लिखी गईं। राणा इस विरासत को अपना सौभाग्य मानते थे और उस घर को स्वर्ग के समान बताते थे। कुल मिलाकर, राणा बलाचौरिया सिर्फ एक खिलाड़ी या प्रमोटर नहीं थे, बल्कि एक ऐसे इंसान थे जिनका जीवन खेल, परंपरा, समाजसेवा और रिश्तों से गहराई से जुड़ा हुआ था।
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