हरियाणा में निकाय चुनाव की तैयारियां हुई तेज, ट्रांसफर पर लगी रोक
हरियाणा में निकाय चुनाव भी ईवीएम से ही होंगे। राज्य चुनाव आयोग को एम-टू ईवीएम मिली हैं, जिनका इस्तेमाल पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में किया गया था।
चंद्रशेखर धरणी : हरियाणा के शहरी निकायों में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब राज्य चुनाव आयुक्त ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है। प्रदेश में दो चरणों में निकाय चुनाव कराए जाने हैं। पहले चरण में 27 शहरी निकायों में चुनाव होने हैं, जबकि सात शहरी निकायों में दूसरे चरण में चुनाव होंगे। पहले चरण में होने वाले शहरी निकायों के चुनाव संबंधी मतदाता सूचियों को फाइनल करने का काम छह जनवरी तक पूरा कर लिया जाएगा, जिसके दो से तीन दिनों के बाद शहरी निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित होगा। हरियाणा में निकाय चुनाव भी ईवीएम से ही होंगे। राज्य चुनाव आयोग को एम-टू ईवीएम मिली हैं, जिनका इस्तेमाल पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में किया गया था।
नहीं हो सकती ईवीएम में छेड़छाड़
राज्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह ने कांग्रेस की ओर से ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगाए जाने को खारिज करते हुए कहा कि जून 2022 में शहरी निकाय और अक्टूबर-नवंबर 2022 में पंचायत चुनाव भी ईवीएम के माध्यम से ही कराए गए थे। शहरी निकाय चुनाव को लेकर उन्होंने प्रदेश के सभी डीसी को 6 जनवरी तक मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन सुनिश्चित करने को कहा है, जिससे चुनाव कार्यक्रम में किसी प्रकार की देरी से बचा जा सके।
बढ़ गई खर्च की सीमा
हरियाणा में फरवरी में प्रस्तावित निकाय चुनाव में प्रत्याशी चुनाव प्रचार पर अब अधिक राशि खर्च कर सकेंगे। मेयर पद के उम्मीदवार 30 लाख तो पार्षद पद के उम्मीदवार साढ़े सात लाख रुपए प्रचार पर खर्च कर सकते हैं। राज्य चुनाव आयोग ने मेयर प्रत्याशी के चुनाव प्रचार खर्च की सीमा पांच लाख रुपए और पार्षद की डेढ़ लाख रुपए बढ़ाई है। इसी प्रकार नगर परिषद के प्रधान पद के उम्मीदवार 16 लाख की बजाय 20 लाख रुपए और पार्षद पद के उम्मीदवार साढ़े तीन लाख रुपए की बजाय साढ़े चार लाख रुपए खर्च कर सकेंगे। नगर पालिका प्रधान के लिए प्रचार खर्च की सीमा साढ़े दस लाख रुपए से बढ़कर साढ़े बारह लाख और पार्षद के लिए ढाई लाख से बढ़कर तीन लाख रुपए की गई है। इससे पहले मार्च 2022 में निकाय चुनाव को लेकर प्रचार खर्च की सीमा में संशोधन किया गया था। तब मेयर प्रत्याशी के लिए चुनाव खर्च की सीमा 25 लाख और पार्षदों के लिए छह लाख रुपये निर्धारित की थी। महंगाई के अनुसार सभी प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार पर खर्च की सीमा बढ़ाई गई है। चुनाव के एक महीने के अंदर सभी उम्मीदवारों को निर्धारित प्रोफार्मा में अपने चुनावी खर्च का ब्योरा राज्य चुनाव आयोग को देना होगा। यदि कोई उम्मीदवार तय समय में खर्च का ब्योरा जमा करने में असफल रहता है तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकता है। ऐसे व्यक्ति को पांच साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाएगा।
यहां होंगे पहले चुनाव
पहले चरण में गुरुग्राम, फरीदाबाद व मानेसर के सामान्य तथा अंबाला व सोनीपत नगर निगमों के उपचुनाव होंगे। रोहतक और हिसार नगर निगमों में वार्डबंदी का काम हालांकि पूरा हो चुका है, लेकिन करनाल, यमुनानगर, पानीपत के साथ इन दोनों नगर निगमों के चुनाव दूसरे चरण में कराए जाएंगे। थानेसर नगर परिषद की वार्डबंदी का काम पूरा हो गया है, लेकिन इसके चुनाव दूसरे चरण में होंगे। कालांवाली के चुनाव भी दूसरे चरण में होंगे, जबकि सोहना के उपचुनाव पहले चरण में कराए जाएंगे। सोहना का केस हाई कोर्ट में चल रहा था, जो कि पीड़ित के पक्ष में नहीं गया है। अंबाला, पटौदी, जाखल मंडी और सिरसा नगर परिषदों के चुनाव पहले चरण में होंगे।
ट्रांसफर पर लगी रोक
निकाय चुनाव से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण पर प्रदेश सरकार ने रोक लगा दी है। मतदाता सूचियों को अंतिम रूप देने में जुटे किसी कर्मचारी-अधिकारी को अब स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। स्थानांतरण जरूरी हुआ तो राज्य चुनाव आयोग से अनुमति के बाद ही ऐसा किया जाएगा। मुख्य सचिव कार्यालय की राजनीतिक शाखा ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशक, मंडलायुक्त और उपायुक्तों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
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