एक देश-एक चुनाव: JPC की पहली बैठक संपन्न, सांसदों को मिली 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट

संसद में पेश किए गए 129वें संविधान संशोधन बिल को लेकर बुधवार को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की पहली बैठक हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में कानून मंत्रालय ने प्रस्तावित बिल से संबंधित 18 हजार पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट सदस्यों को सौंपी।

Jan 8, 2025 - 19:32
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एक देश-एक चुनाव: JPC की पहली बैठक संपन्न, सांसदों को मिली 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट

संसद में पेश किए गए 129वें संविधान संशोधन बिल को लेकर बुधवार को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की पहली बैठक हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में कानून मंत्रालय ने प्रस्तावित बिल से संबंधित 18 हजार पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट सदस्यों को सौंपी। यह रिपोर्ट सांसदों को सूटकेस में ले जाते हुए देखा गया, जिसमें भाजपा सांसद संबित पात्रा और AAP सांसद संजय सिंह सहित कई नेता शामिल थे।

बैठक का मुख्य उद्देश्य

बैठक के दौरान कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर एक प्रेजेंटेशन दी। यह प्रेजेंटेशन एक देश-एक चुनाव की अवधारणा, इसके कानूनी, संवैधानिक और प्रशासनिक पहलुओं पर केंद्रित थी। मंत्रालय ने इस पर विस्तृत जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह कानून देश की चुनावी प्रक्रिया को सरल और सुदृढ़ बनाने का प्रयास है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

भाजपा का समर्थन: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिल का समर्थन करते हुए इसे “देशहित में एक ऐतिहासिक कदम” बताया। भाजपा नेताओं ने इसे चुनावी खर्चों में कमी और प्रशासनिक कुशलता बढ़ाने वाला बताया।

विपक्ष का विरोध: कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने बिल का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया। विपक्ष का मानना है कि एक देश-एक चुनाव की अवधारणा संघीय ढांचे और विविधता की भावना को कमजोर कर सकती है।

JPC की आगामी कार्यवाही

जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को बजट सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन तक अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करनी होगी। यह रिपोर्ट विधेयक पर अंतिम निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाएगी।

एक देश-एक चुनाव की अवधारणा क्या है?

एक देश-एक चुनाव का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनावों के दौरान आने वाले आर्थिक बोझ को कम करना और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देना है। हालांकि, इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन और व्यापक सहमति की आवश्यकता होगी।

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