सनातन का महापर्व... महाकुंभ में डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
आज पौष पूर्णिमा पर पहला स्नान है। जहां रिपोर्ट्स के मुताबिक दोपहर 2 बजे तक 44 घाटों पर डेढ़ करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। इसके साथ साथ संगम नजरी में आए लाखों भक्तों पर 20 क्विंटल फूलों की वर्षा की जाएगी।
आज से महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है, और हर साल की तरह इस बार भी यह आयोजन करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष धार्मिक अनुभव बनने जा रहा है। महाकुंभ का पहला दिन खासा ऐतिहासिक रहा है, क्योंकि इस दिन करोड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। बता दें कि आज पौष पूर्णिमा पर पहला स्नान है। जहां रिपोर्ट्स के मुताबिक दोपहर 2 बजे तक 44 घाटों पर डेढ़ करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। इसके साथ साथ संगम नजरी में आए लाखों भक्तों पर 20 क्विंटल फूलों की वर्षा की जाएगी।
संगम किनारे सनातन धर्म की छटा
प्रत्येक वर्ष महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में स्थित त्रिवेणी संगम पर होता है, जहां गंगा, यमुन और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस पवित्र स्थल पर धर्म, संस्कृति और आस्था का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है। संगम किनारे सनातन धर्म की छटा बिखरी हुई है। हर तरफ राम के नाम की महिमा गूंज रही है, हर तरफ हर-हर महादेव का उद्घोष हो रहा है। यह दृश्य न केवल आध्यात्मिकता से भरा हुआ है, बल्कि सामाजिक एकता और देशभक्ति का भी प्रतीक है।
शाही स्नान का दिन
महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी को होगा। इस दिन विशेष रूप से साधु-संतों और अन्य धार्मिक व्यक्तियों द्वारा गंगा में स्नान करने के लिए एक विशेष स्नान यात्रा का आयोजन किया जाता है। शाही स्नान के दिन संगम किनारे विशेष सुरक्षा इंतजाम किए जाते हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इस दिन के दौरान संगम का दृश्य बहुत ही भव्य और अलौकिक होता है, जहां लाखों लोग पवित्र स्नान करने के लिए जुटते हैं।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। इसे लेकर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहां आते हैं। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है, और इस दौरान श्रद्धालुओं का विश्वास होता है कि यहां स्नान करने से उनके पापों का नाश होता है और वे मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं।
महाकुंभ का आयोजन 14 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक चलेगा, जिसमें श्रद्धालु पूरे समय धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान के लिए यहां आते रहेंगे। प्रशासन ने इस बार सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर भी विशेष इंतजाम किए हैं, ताकि हर श्रद्धालु को आरामदायक और सुरक्षित वातावरण मिल सके। पुलिस, अर्धसैनिक बल और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूरे क्षेत्र में तैनात हैं। प्रशासन के मुताबिक करीब 50 हजार से ज्यादा पुलिसबल और अधिकारी मौजूद है।
हर 12 साल में एक बार होने वाला ये महापर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और प्राचीन परंपराओं का भी प्रतीक है। यहां हर धर्म, जाति और पंथ के लोग एक साथ आकर एकजुटता का संदेश देते हैं। यह आयोजन न केवल भारतीयों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अद्भुत उदाहरण है कि किस तरह आस्था और श्रद्धा लोगों को एक साथ जोड़ती है।
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