नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें सामग्री, विधि, मंत्र, भोग, आरती

धार्मिक मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के मन से भय का नाश होता है। सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

Apr 4, 2025 - 06:19
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नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें  सामग्री, विधि, मंत्र, भोग, आरती
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नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के इस स्वरूप को बहुत भयंकर बताया गया है। मां कालरात्रि का रंग काला है, तीन आंखें हैं, खुले बाल हैं, गले में मुण्डों की माला पहनती हैं और गंधर्भ की सवारी करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के मन से भय का नाश होता है। सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

ऐसे करें मां कालरात्रि को प्रसन्न?| Maa Kalratri Puja Vidhi

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सबसे पहले मां कालरात्रि के सामने दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करते हुए चावल, रोली, फूल, फल आदि अर्पित करें। मां कालरात्रि को लाल फूल प्रिय हैं, इसलिए पूजा में गुड़हल या गुलाब के फूल चढ़ाएं। इसके बाद दीपक और कपूर जलाकर मां कालरात्रि की आरती करने के बाद लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से मंत्रों का जाप करें। अंत में मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाएं और गुड़ का दान भी करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।

मां कालरात्रि का प्रिय भोग|Maa Kalratri Bhog

कालरात्रि का प्रिय भोग गुड़ हैं. मान्यता है कि नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा में मां को गुड़ या उससे बनी मिठाईयों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती है.

मां कालरात्रि के मंत्र |Maa Kalratri Mantra

मां कालरात्रि का प्रार्थना मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

मां कालरात्रि की स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कालरात्रि का ध्यान मंत्र

करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।

कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥

दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।

अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥

महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।

घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।

एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

मां कालरात्रि की आरती |Maa Kalratri Aarti

जय जय अम्बे जय कालरात्रि।

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।

काल के मुह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।

महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।

महाकाली है तेरा पसारा ॥

खडग खप्पर रखने वाली ।

दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।

सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥

सभी देवता सब नर-नारी ।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।

ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें ।

महाकाली मां जिसे बचाबे ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह ।

कालरात्रि मां तेरी जय ॥

जय जय अम्बे जय कालरात्रि।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है,Mhone news इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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