'मैं आप को साफ भाषा में समझा दूं', ग्रीनलैंड पर ट्रंप ने दिया बयान तो भड़के डेनमार्क सांसद
चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने कई बार इस बात को कहा था, इसी बीच डेनमार्क के एक सांसद ने डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर विरोध जताया है। इसके अलावा उन्होंने ट्रंप को खूब खरी-खोटी सुनाई है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है, शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की बात कही थी, साथ ही अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने कई बार इस बात को कहा था, इसी बीच डेनमार्क के एक सांसद ने डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर विरोध जताया है। इसके अलावा उन्होंने ट्रंप को खूब खरी-खोटी सुनाई है।
ट्रंप के लिए किया अपशब्दों का प्रयोग
कई दशकों से ग्रीनलैंड डेनमार्क का हिस्सा है, इसी कड़ी में यूरोपीय संसद में बोलते हुए डेनमार्क के सांसद एंडर्स विस्टिसेन ने कहा, "डियर प्रेजिडेंट ट्रंप, आप ध्यान से सुन ले, 800 साल से ग्रीनलैंड डेनमार्क का हिस्सा है, ये हमारे देश का अभिन्न अंग हैं। ये बिक्री के लिए नहीं हैं, मैं ये आप को सीधे शब्दों में समझा देना चाहता हूं" इसके बाद उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया।
हालांकि तुरंत ही यूरोपीय संसद के वाइस प्रेसिजेंट निकोल स्टेफनूटा ने एंडर्स को फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि सदन में इस तरह की भाषा की इजाजत नहीं है. सदन इस तरह से नहीं चलेगा. वहीं, इससे पहले ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट इगा ने कहा था कि ग्रीनलैंड उनके लोगों का है और ये बिकाऊ नहीं है.
जानें क्या है ट्रंप के इरादे
डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अमेरिका को ग्रीनलैंड की जरूरत है. इसी वजह से ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण बहुत जरूरी है. अब सबके मन में ये सवाल है कि क्यों ट्रंप ग्रीनलैंड पर अपना कंट्रोल चाहते हैं. दरअसल, ग्रीनलैंड की स्ट्रैटैजिक लोकेशन की वजह से ऐसा है. ये उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप का हिस्सा ही है लेकिन जियो पॉलिटकली देखें तो यूरोप से भी जुड़ता है. ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर इस पर कंट्रोल पाना चाहते हैं. लेकिन इसके पीछे की असल वजह ये हैं कि वो जमीन के इस टुकड़े पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना चाहते हैं.
गौरतलब है कि ग्रीनलैंड 1953 तक डेनमार्क का उपनिवेश था. इस समय भी डेनमार्क का ही इस पर नियंत्रण हैं, लेकिन यहां पर सेमी-ऑटोनोमस सरकार है. ग्रीनलैंड की सरकार यहां पर घरेलू नीतियों से लेकर अन्य मामलों में फैसले लेती हैं, जबकि रक्षा और विदेश संबंधी मामले लेने का हक डेनमार्क की सरकार के पास है.
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