बेटे की हार पर रो पड़े कुलदीप बिश्नोई, आदमपुर में 56 साल बाद मिली हार

हरियाणा में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई, लेकिन पार्टी के कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा। इसी कड़ी में आदमपुर विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के पौते और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को भी हार का सामना करना पड़ा।

Oct 9, 2024 - 16:31
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बेटे की हार पर रो पड़े कुलदीप बिश्नोई, आदमपुर में 56 साल बाद मिली हार
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चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई, लेकिन पार्टी के कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा। इसी कड़ी में आदमपुर विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के पौते और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को भी हार का सामना करना पड़ा। वह बीजेपी की टिकट पर चुनावी मैदान में थे। चुनावी परिणाम घोषित होने के बाद जब कुलदीप बिश्नोई समर्थकों के बीच पहुंचे तो वह अपने आंसू नहीं रोक सके। 

50 सालों से ज्यादा समय से जीतता आ रहा परिवार 

50 सालों से भी अधिक समय से आदमपुर सीट से चौधरी भजनलाल का परिवार जीतता आया है। यह पहला मौका है, जब उनकी पार्टी प्रदेश में हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है और भजनलाल का परिवार उस सरकार का हिस्सा नहीं होगा। पूर्व मुख्यमंत्रियों भजन लाल, बंसी लाल और देवी लाल के कई रिश्तेदार चुनाव मैदान में थे।  हारने वाले प्रमुख लोगों में इंडियन नेशनल लोक दल  के नेता अभय सिंह चौटाला, बीजेपी के भव्य बिश्नोई और जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला शामिल हैं, जबकि विजेताओं की सूची में बीजेपी की श्रुति चौधरी और आरती राव सिंह शामिल हैं।  

आदमपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पोते और इसी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र प्रकाश से 1,268 मतों के मामूली अंतर से हार गए। भव्य ने 2022 के उपचुनाव में यह सीट जीती थी। पहले इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता कुलदीप बिश्नोई और दादा भजन लाल करते थे।  

चंद्र मोहन पंचकूला से जीते

भव्य के चाचा और कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र मोहन ने हालांकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और बीजेपी के विधायक रहे ज्ञान चंद गुप्ता के खिलाफ पंचकूला निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की।  हरियाणा के तीन प्रसिद्ध ‘लाल’ के रिश्तेदार चुनावी मैदान में थे, जिनमें से कुछ एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे, वहीं अन्य प्रमुख राजनीतिक परिवारों से भी कुछ ऐसे लोग थे जिनके मैदान में उतरने से चुनावी जंग दिलचस्प हो गयी।  

जब 1966 में हरियाणा को एक अलग राज्य बनाया गया, तब से इसकी राजनीति लगभग तीन दशकों तक तीन ‘लाल’ - देवी लाल, जिन्हें ‘ताऊ’ देवी लाल के नाम से जाना जाता है, भजन लाल और बंसी लाल के इर्द-गिर्द घूमती रही है। इन सभी ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। देवी लाल देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे है।

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